इसके बाद कोलंबो के कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था और माना जा रहा था कि वहां की हुकूमत कोई बड़ा कदम उठा सकती है। इस बीच 40,000 टन डीजल लेकर एक जहाज श्रीलंका पहुंच गया है। इसे जल्द से जल्द लोगों के बीच बांटा जाएगा।
श्रीलंका के संविधान के आर्टिकल 155 के मुताबिक, राष्ट्रपति अपने विवेक से आपातकाल का एलान कर सकते हैं और इसे अदालत में भी चुनौती नहीं दी जा सकती।
राष्ट्रपति द्वारा इस तरह की घोषणा 1 महीने के लिए वैध होती है और संसद को इसे 14 दिन के भीतर मंजूरी देनी होती है। अगर यह मंजूरी नहीं मिलती है तो यह घोषणा समाप्त हो जाती है।
श्रीलंका में हालात इस कदर खराब हैं कि लोगों को पेट्रोल और डीजल तक मिलना मुश्किल हो गया है। बिजली का उत्पादन नहीं होने से हर दिन 10 घंटे का पावरकट लग रहा है। स्कूलों में परीक्षाएं ठप हैं और जरूरी दवाएं भी लोगों को नहीं मिल पा रही हैं।
कई इलाक़ों में प्रदर्शन
कोलंबो के अलावा गाले, मतारा और मोरातुवा शहरों में भी सरकार विरोधी प्रदर्शन हुए हैं और इन जगहों पर लोगों ने सड़कों को जाम कर दिया। हालात को देखते हुए मुल्क में पुलिस और सेना को अलर्ट पर रखा गया है।
अशांति के लिए आतंकवादी जिम्मेदार
श्रीलंका की हुकूमत के दो मंत्रियों ने कहा है कि गुरुवार रात को हुए प्रदर्शन के दौरान राष्ट्रपति राजपक्षे और उनकी पत्नी की जान को खतरा पैदा हो गया था। इन मंत्रियों का कहना है कि जब लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे उस वक्त राष्ट्रपति और उनकी पत्नी अपने घर पर ही थे। उन्होंने कहा कि उन्हें इन इन प्रदर्शनों के हिंसक होने का अंदाजा नहीं था और यह सुरक्षा में बहुत बड़ी चूक है। परिवहन मंत्री दिलुम अमुनुगामा ने कहा कि देश के भीतर हो रही अशांति के लिए आतंकवादी जिम्मेदार हैं।
राजपक्षे का परिवारवाद
राष्ट्रपति राजपक्षे परिवारवाद को लेकर भी आलोचकों के निशाने पर हैं। उनके भाई महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं जबकि छोटे भाई बासिल राजपक्षे वित्त मंत्री हैं। राजपक्षे के बड़े भाई और भतीजे राजपक्षे की कैबिनेट में हैं।
बीते कुछ दिनों में कई लोग श्रीलंका से भागकर भारतीय राज्य तमिलनाडु में आ चुके हैं। इस मामले में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं।
श्रीलंका की हुकूमत ने मार्च 2020 में विदेशी पैसे को बचाने के लिए आयात पर बैन लगा दिया था। लेकिन इस वजह से जरूरी सामानों की जबरदस्त किल्लत हो गई और कीमतें भी बेतहाशा बढ़ गई। 1948 में आजाद हुआ यह मुल्क अपनी आजादी के बाद सबसे ख़राब दौर को देख रहा है।
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