रूस ने शुक्रवार से यूक्रेन के चार कब्जे वाले क्षेत्रों में जनमत संग्रह शुरू कराया है। ये जनमत संग्रह शुक्रवार से शुरू हुआ है और मंगलवार तक चलेगा। ये इलाके हैं - पूर्व और दक्षिणपूर्व में लुहान्स्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया। याद होगा कि क्रीमिया पर कब्जे के बाद वहां भी इस तरह का एक जनमत संग्रह रूस ने कराया था। यह कोई बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न नहीं है कि रूस आखिर यूक्रेन के इन चार इलाकों में जनमत संग्रह क्यों करवा रहा है।
जनमत संग्रह में वहां की जनता अगर रूस के कब्जे को सही ठहराते हुए रूस के नियंत्रण में रहने को तैयार हो जाती है तो रूस पूरी दुनिया से कह सकता है कि वहां की जनता ने फैसला सुना दिया। अभी उसका इन चारों इलाकों पर नियंत्रण तो है लेकिन उसे विश्व जनमत का समर्थन प्राप्त नहीं है। इस जनमत संग्रह के बाद उसके पास कहने को कुछ होगा। यही वजह है कि अभी जब पीएम मोदी ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का समय नहीं है तो उसे अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया ने काफी उछाला था।
बहरहाल, यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने इसकी निंदा की। उन्होंने इस जनमत संग्रह को एक दिखावा बताते हुए खारिज कर दिया और इसके नतीजों को मान्यता नहीं देने का वचन दिया।
अमेरिकी न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक यूक्रेन के अधिकारियों ने कहा कि चार दिवसीय जनमत संग्रह होने तक लोगों को कुछ कब्जे वाले क्षेत्रों से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हथियारबंद समूह घरों में जाकर लोगों और कर्मचारियों को इसमें भाग नहीं लेने पर बर्खास्त करने की धमकी दे रहे थे।
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व और दक्षिण पूर्व में लुहान्स्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया प्रांत यूक्रेन का 15 फीसदी हिस्सा है। खेरसान क्षेत्र के विस्थापित फर्स्ट डिप्टी काउंसिल के अध्यक्ष यूरी सोबोलेव्स्की ने कहा, खेरसान के लोगों के लिए सबसे अच्छी बात यह होगी कि वे अपने दरवाजे न खोलें।
डोनेट्स्क क्षेत्र में, शुक्रवार को 23.6% मतदान हुआ। यह दावा रूस की समाचार एजेंसी तास ने एक स्थानीय अधिकारी के हवाले से कहा। रूस की इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने स्थानीय चुनाव अधिकारियों के हवाले से बताया कि ज़ापोरिज्जिया क्षेत्र में मतदान करने के योग्य 20.5% से अधिक और खेरसॉन क्षेत्र के 15% मतदाताओं ने शुक्रवार को मतदान किया था।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने शुक्रवार देर रात के संबोधन में कहा कि इस जनमत संग्रह की दुनिया स्पष्ट रूप से निंदा करेगी। ऐसा सिर्फ अंतरराष्ट्रीय कानून और यूक्रेनी कानून के खिलाफ अपराध नहीं हैं, ये एक राष्ट्र के खिलाफ अपराध हैं।
यूक्रेन ने हाल ही में रूस के कब्जे से कई इलाकों को छुड़ा लिया। इसके बाद रूस ने कुछ कब्जे वाले इलाकों को अपना हिस्सा बनाने के लिए जल्दबाजी में जनमत संग्रह का आयोजन किया। यूक्रेन ने इस महीने की शुरुआत में एक जवाबी हमले में पूर्वोत्तर के बड़े क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया था।
रूसी राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन में लड़ने के लिए 300,000 सैनिकों की तैनाती करने जा रहे हैं। उन्होंने इस सप्ताह एक सैन्य मसौदे की घोषणा इस संबंध में की है। क्रेमलिन ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमले की मंजूरी दी थी। इस तरह इस युद्ध को आठ महीने हो चुके हैं लेकिन रूस अपने मुताबिक नतीजे हासिल नहीं कर सका है।
बहरहाल, ज़ेलेंस्की ने रूस के कब्जे वाले यूक्रेन के कुछ हिस्सों में भी लोगों को संबोधित किया, और कहा कि उन्हें रूस के प्रयासों का विरोध करना चाहिए। आप लोग मुक्त यूक्रेन के क्षेत्र में जाने की कोशिश करें।
कहा जा रहा है कि चार राज्यों में जनमत संग्रह के बाद रूस फिर से उन इलाकों का इस्तेमाल हमले के लिए कर सकता है। पुतिन और अन्य रूसी अधिकारियों ने यूक्रेन के खिलाफ इन इलाकों के चरमपंथ को एक विकल्प के रूप में पेश करते हुए परमाणु हथियारों का उल्लेख किया है। यानी वो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल आने वाले समय में यूक्रेन पर कर सकता है। यूक्रेन में पहले ही हजारों लोग मारे जा चुके हैं। पूरी अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है। इसने पूरी दुनिया की रणनीति को प्रभावित किया है।
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