सऊदी अरब एक के बाद एक सुधार के क़दम उठा रहा है। इसने पहले महिलाओं को कार चलाने, खेल प्रतियोगिताओं, कंसर्ट में जाने की आज़ादी दी, अब यह कोड़े मारने वाली सज़ा को ख़त्म करने जा रहा है। इसकी घोषणा भी कर दी गई है। तो क्या अब मध्यकालीन बर्बर क़ानून-क़ायदों में जकड़ा सऊदी अरब बाहर आज की दुनिया में निकलने के लिए छटपटा रहा है? क्या कोड़े मारने की सज़ा को ख़त्म कर इसने उस दकियानूसी मानसिकता से बाहर आने की प्रक्रिया को और तेज़ कर दिया है?