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पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो

पनामा के राष्ट्रपति ने ट्रम्प से कहा- नहर के बारे में झूठ बोलना छोड़ दो

पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने गुरुवार को कहा कि पनामा नहर पर अमेरिका का झूठ अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा है। यह झूठ बोलना बंद होना चाहिए। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पनामा नहर को वापस लेने की बात दोहराई है। इसके बाद दोनों देशों में तनातनी बढ़ गई है। अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार को दावा किया था कि पनामा अमेरिकी सरकारी जहाजों से नहर टोल वसूलना बंद करने पर राजी हो गया है। इससे वाशिंगटन के लाखों लोगों की बचत हुई है। हालाँकि, पनामा नहर अथॉरिटी ने अपनी फीस में कोई भी बदलाव करने से इनकार किया है। इस तरह अमेरिका का एक बड़ा झूठ सामने आ गया।

पनामा सरकार का कहना है कि अमेरिका के कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा फैलाए जा रहे अफवाहों और गलत सूचनाओं के कारण नहर का ग्लोबल महत्व और पनामा की भूमिका का गलत संकेत जा रहा है। यह बंद होना चाहिए।
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1999 में पनामा नहर का पूर्ण नियंत्रण पनामा सरकार को ट्रांसफर किया गया था, जो एक ऐतिहासिक घटना थी। इससे पहले, यह नहर अमेरिकी नियंत्रण में थी। इसलिए, पनामा के लिए नहर न केवल एक आर्थिक संपत्ति है, बल्कि राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक भी है।

राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में आरोप लगाया कि चीन "प्रभावी रूप से" पनामा नहर का संचालन कर रहा है और इसे वापस लेने की धमकी दी। उन्होंने कहा, "हमने इसे चीन को नहीं दिया, हमने इसे पनामा को दिया। और अब हम इसे वापस लेने जा रहे हैं।" इस पर पनामा के राष्ट्रपति मुलिनो ने ट्रम्प के बयानों को "झूठ" करार देते हुए कहा, "हम मिस्टर ट्रम्प द्वारा कही गई हर बात को पूरी तरह खारिज करते हैं।"
पनामा नहर, जो अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर को जोड़ती है, ग्लोबल कारोबार और वाणिज्य का एक महत्वपूर्ण रास्ता है। यह नहर दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक है और इसके जरिये प्रतिवर्ष लाखों टन माल ट्रांसपोर्ट होता है। नहर का संचालन पनामा की अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे प्राप्त होने वाला राजस्व देश के बजट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

पनामा नहर का निर्माण अमेरिका द्वारा किया गया था और 1914 से 1999 तक इसका संचालन अमेरिकी नियंत्रण में रहा। 1977 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत नहर का स्वामित्व पनामा को सौंपा गया। 31 दिसंबर 1999 को, यह स्वामित्व आधिकारिक रूप से पनामा को ट्रांसफर कर दिया गया। 

हाल के वर्षों में, पनामा नहर के संचालन और वित्तीय प्रबंधन को लेकर कई आलोचनाएं सामने आई हैं। कुछ अमेरिकी विश्लेषकों और राजनीतिक नेताओं ने पनामा सरकार पर आरोप लगाया है कि वे नहर के राजस्व का पारदर्शी ढंग से इस्तेमाल नहीं कर रही है। इसके अलावा, कुछ विचारकों ने नहर की वित्तीय स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की है, जिसमें लोन की बढ़ता दबाव और निवेश की कमी का जिक्र किया गया है।
इन आलोचनाओं के बाद, पनामा की सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा है कि ये आलोचनाएं झूठी हैं और इनका उद्देश्य पनामा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है। उन्होंने आग्रह किया है कि अमेरिकी प्रशासन और मीडिया इन गलतफहमियों का प्रचार बंद करें और पनामा की नहर-संबंधी नीतियों को सही तरीके से समझें।

पनामा के राष्ट्रपति ने अपने बयान में कहा है कि पनामा सरकार ने नहर के संचालन और रखरखाव में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखी है। उन्होंने यह भी बताया है कि नहर के राजस्व का उपयोग देश के विकास कार्यक्रमों और आर्थिक विकास के लिए किया जा रहा है। राष्ट्रपति मुलिनो ने कहा, "हमारी सरकार ने नहर को एक वैश्विक संपत्ति के रूप में संरक्षित किया है और इसके संचालन में किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की है।"
उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि पनामा नहर का प्रबंधन एक स्वतंत्र निगम, पनामा नहर प्राधिकरण (ACP), द्वारा किया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करता है। ACP की रिपोर्टों के अनुसार, नहर का वित्तीय स्थिति स्थिर है और इसके राजस्व का उपयोग देश के विकास के लिए किया जा रहा है।

पनामा नहर को लेकर अमेरिका और पनामा के बीच बढ़ते तनाव ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। कई देशों ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त की है, क्योंकि नहर का संचालन वैश्विक व्यापार और आर्थिक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने दोनों देशों को संवाद के माध्यम से इस मुद्दे को सुलझाने का आग्रह किया है।
ट्रम्प के बयानों के बाद, पनामा ने संयुक्त राष्ट्र में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उस अनुच्छेद का हवाला दिया गया है, जिसमें किसी सदस्य राष्ट्र द्वारा "बल प्रयोग या बल प्रयोग की धमकी" पर रोक लगाई गई है। इसके साथ ही, पनामा ने पनामा नहर और पनामा पोर्ट्स कंपनी के ऑडिट की घोषणा की है, जो हांगकांग स्थित सीके हचिसन होल्डिंग्स की सहायक कंपनी है और नहर के दोनों छोर पर बंदरगाहों का संचालन करती है। 

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पनामा नहर को लेकर अमेरिका और पनामा के बीच तनाव के कारण भविष्य में कुछ चुनौतियां भी उभर सकती हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण नहर के संचालन पर भी दबाव बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में, नहर के लिए आवश्यक जल स्तर में कमी आई है, जिससे नहर के माध्यम से जहाजों के परिवहन पर प्रतिबंध लगाने की बात सामने आई है। इस स्थिति में, दोनों देशों को सहयोग करना और इन चुनौतियों का सामना करने के लिए संयुक्त प्रयास करना होगा।

पनामा नहर की सफलता न केवल पनामा के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। ग्लोबल कारोबार और आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने के लिए पनामा नहर को लेकर शांति जरूरी है। लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प के पनामा नहर समेत तमाम बयानों ने पूरी दुनिया में उथल पुथल मचा दी है। खुद अमेरिका के लोग ट्रम्प के बयानों को अब पसंद नहीं कर रहे हैं।

(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)
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