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न्यूयॉर्क टाइम्स का खुलासा, 15 साल में 750 डॉलर का टैक्स दिया ट्रंप की कंपनियों ने

मुख्य बात यह नहीं है कि ट्रंप को कितना नुकसान हुआ या क्यों हुआ। मुख्य बात यह है कि एक अमेरिकी पत्रिका ने बेखौफ़ होकर इस पर काम किया और उसने 15 साल का टैक्स रिटर्न पता लगाया, उसने पूरा कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया। यह काम राष्ट्रपति चुनाव के ठीक पहले हुआ। क्या भारत का कोई मीडिया घराना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा कोई रहस्योद्घाटन कर सकता है? 
प्रमोद मल्लिक
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ एक महीने का समय बचा है और वहाँ के एक बड़े प्रतिष्ठित अख़बार न्यूयॉर्क टाइम्स ने डोनल्ड ट्रंप से जुड़ी एक धमाकेदार और सनसनीखेज ख़बर छाप कर सबको चौंका दिया है। न्यूयॉर्क टाइम्स ने डोनल्ड ट्रंप की 200 से अधिक कंपनियों के 15 साल में भरे गए टैक्स की पूरी जानकारी निकाली है और सनसनीखेज खुलासा किया है। यह रिपोर्ट कितनी बड़ी है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि यह खबर आधे मुख्य पेज से शुरू हो कर अंदर पाँच पेजों में फैली हुई है।
न्यूयॉर्क टाइम्स ने शोध और गहरे अध्ययन के बाद पता लगाया है कि राष्ट्रपति बनने के बाद से अब तक डोनल्ड ट्रंप की कंपनियों ने कुल मिला कर 750 डॉलर का ही टैक्स यानी कर चुकाया है। यह कर भी इन कंपनियों ने उनके राष्ट्रपति बनने के साल यानी 2016 में दिया था।
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15 में से 10 साल में टैक्स नहीं

सबसे सनसनीख़ेज़ खुलासा यह है कि इंटरनल रेवेन्यू सर्विस के आँकड़ों के अनुसार, बीते 15 में से 10 साल में ट्रंप की कंपनियों ने कोई कर नहीं चुकाया है। जो कर चुकाया है, कंपनियों ने घाटा दिखा कर उससे अधिक रिफंड ले लिया है। इन कंपनियों ने आईआरएस पर मुकदमा ठोक कर 7.29 करोड़ डॉलर वापस से लिया। यदि वे यह मुकदमा हार जाते तो 10 करोड़ डॉलर का हर्जाना देना पड़ता। 
अमेरिका के राष्ट्रपति अपने टैक्स रिटर्न को सार्वजनिक करते हैं। लेकिन ट्रंप ने तमाम वायदों के बाद अपना टैक्स रिटर्न अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। अब इस ख़ुलासे से साफ है कि उन्होने और उनकी कंपनियों ने क़ानून की कमियों का फायदा उठाकर बहुत बडे पैमाने पर टैक्स की चोरी की।

घाटा ही घाटा

यह खुलासा इसलिए अहम है कि डोनल्ड ट्रंप ने खुले आम यह तो कहा है कि वे 'धनी आदमी हैं' और 'धनी होना अच्छी बात है', पर यह कभी नहीं बताया कि उन्होंने कितना कर चुकाया है। इस पर ज़ोर देने से वह कहते रहे हैं कि 'यह मामला अदालत में है।' न्यूयॉर्क टाइम्स ने आईआरए को दी गई उनकी जानकारियां हासिल कर लीं। 
ट्रंप के पास करोड़ों डॉलर की जायदाद है, पर वे उनकी पूरी जानकारी नहीं देते।
वे अपने कामकाज की जानकारी देते हैं, पर उसमें हमेशा तरह तरह के घाटा और नुक़सान दिखाते हैं, वे यह दावा करते हैं कि उन्होंने निजी तौर पर दूसरे के लिए क़र्ज़ पर जो गारंटी दी थी, वे डूब गए और उन्हें गारंटी की रकम देनी पड़ी।
इस तरह वे करोड़ों डॉलर का घाटा दिखा कर उल्टे सरकार से ही रिटर्न के रूप में करोड़ों डॉलर वसूल लेते हैं।
जिस साल ट्रंप राष्ट्रपति बने उसके एक साल पहले ही उनकी कंपनियों ने जो रिटर्न भरा था, उसके फ़ॉर्म नंबर 1040 की लाइन नंबर 57 में उन्हें जो कर चुकाना है, उसके आगे लिखा हुआ है-शून्य।

टैक्स माफ़

ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद 2018 में एक कंपनी शुरू की गई, 'द अप्रेंन्टिस', जिसमें उनकी 50 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ट्रंप के नाम का इस्तेमाल करने के एवज में उन्हें 427.4 मिलियन डॉलर मिला, दो ऑफ़िस बिल्डिंग में निवेश करने से उन्हें 176.5 मिलियन डॉलर मिला। लेकिन ट्रंप की कंपनी ने इस 600 मिलियन डॉलर की कमाई पर भी इतना ऩुकसान दिखा दिया कि उसका पूरा टैक्स ही माफ़ कर दिया गया।
इस तरह का काम ट्रंप पहले से ही करते आए हैं। 'द टाइम्स' ने पहले ही एक ख़बर में कहा था कि 1995 में ही ट्रंप ने 1 अरब डॉलर का नुक़सान होने का दावा किया था, जिससे 18 साल तक उन्हें कोई कर चुकाने की ज़रूरत ही नहीं रही। जिस साल यह छूट ख़त्म हो रही थी, उसी साल 'द अप्रेन्टिस' की स्थापना हुई और उसमें भी उन्हें कर नहीं चुकाना पड़ा।
डोनल्ड ट्रंप अपने गोल्फ़ कोर्स, कसीनो और होटल के लिए पहले से ही जाने जाते हैं। उनके सबसे बड़े गोल्फ़ रिजॉर्ट मयामी के नज़दीक बने हुए ट्रंप नैशनल डोरियल में 2012 में 15 करोड़ डॉलर का निवेश किया, लेकिन 2018 में 16.23 करोड़ डॉलर का नुक़सान हो गया।

उन्होंने इसमें 21.3 करोड़ डॉलर का निवेश फिर किया, लेकिन मॉर्टगेज में 12.5 करोड़ डॉलर का नुक़सान हो गया।

डोनल्ड ट्रंप के यूरोप में तीन गोल्फ़ कोर्स हैं-दो स्कॉटलैंड और एक आयरलैंड में। इन दोनों जगहों पर ट्रंप की कंपनी को 6.36 करोड़ डॉलर का नुक़सान हुआ। साल 2000 से अब तक इन जगहों पर 31.56 करोड़ डॉलर का नुक़सान हो गया।

होटल में भी घाटा

ट्रंप के होटल व्यवसाय का भी यही हाल है। अमेरिका स्थित उनका होटल ट्रंपवर्ल्ड 2016 में शुरू हुआ। इसे 2018 तक 5.55 करोड़ डॉलर का नुक़सान हो चुका था। राष्ट्रपति की रियल स्टेट सेवा कंपनी ट्रंप कॉरपोरेशन को साल 2000 से 13.40 करोड़ डॉलर का नुक़सान हुआ।
 ट्रंप की कंपनियों को इन गोल्फ़ क्लब, होटल और रियल स्टेट सेवा कंपनी से 2010 से 2018 के बीच कुल मिला कर 15.03 करोड़ डॉलर डेप्रीसिएशन के रूप में मिला।

ट्रंप ब्रान्ड 

ट्रंप ब्रान्ड का इस्तेमाल करने वाली कंपनी वोरनेडो रियलटी ट्रस्ट ने मैनहैटन के पास फार वेस्ट साइड में एक मिनी सिटी बनाई है। उसने दो बिल्डिंग बेचे तो ट्रंप ने मुक़दमा कर दिया कि उनकी सहमति के बग़ैर ही यह हुआ, उन्हें इसमें पैसे मिले।
डोनल्ड ट्रंप ने निजी क़र्ज़ को दी गई गारंटी में भी पैसे डूबने का तर्क दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ लोगों को क़र्ज लेने में मदद की, उनके गांरटर बन गए। बाद में उसने क़र्ज नहीं चुकाया और बैंक वालों ने उनसे इसकी वसूली कर ली। इस तरह उन्हें 30 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ।
इसी तरह उन्होंने कहा कि अटलांटिक सिटी कसीनो के बंद होने पर घाटा हुआ और उन्होंने 7.29 करोड़ रुपए की रकम ले ली। यह सूची बहुत ही लंबी है। लेकिन कुल मिला कर हाल यह है कि ट्रंप ने ऐसे कारोबार किए जिसमें उन्होंने जितने पैसे लगाए, डूबते चले गए। वे अभी भी पैसे लगाते जा रहे हैं, उन्हें घाटा होता जा रहा है।

कॉनफ्लिक्ट ऑफ़ इंटरेस्ट

 न्यूयॉर्क टाइम्स ने उन पर 'कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट' का गंभीर आरोप लगाया है। इसका मतलब यह हुआ कि आप जिस पद पर हैं, उसकी वजह से आपको फ़ायदा हुआ।
अख़बार का कहना है कि ट्रंप की कंपनियों को विदेश की कुछ कंपनियों से काम मिला और यह उनके राष्ट्रपति बनने के बाद हुआ संकेतों में कहने का अर्थ यह कि वे चूंकि राष्ट्रपति पद पर थे, इसलिए ही उनकी कंपनी को यह काम मिला, वर्ना नहीं मिलता।

बेटी-दामाद को ज़िम्मेदारी

ट्रंप ने राष्ट्रपति बनने के बाद एलान किया कि वह इस पद पर रहते हुए अपना कामकाज नहीं देखेंगे। लेकिन उनका कामकाज उनके दामाद जेअर्ड कशनर और उनकी बेटी इवांका ट्रंप देखती हैं। कशनर उनके सलाहकारों में एक हैं। 
अब सवाल यह उठता है कि क्या विदेशी कंपनियों को यह नहीं मालूम कि इवांका उनकी बेटी हैं? क्या इससे इनकार किया जा सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति की बेटी के होने के कारण ही किसी विदेश कंपनी ने वह काम दिया हो।

रूस में क्या हुआ?

रूस के मास्को शहर में एक कंपनी ने विश्व सुंदरी शो आयोजित किया। इस कंपनी के मालिक अमीन अलगारोव हैं। उस कंपनी ने ट्रंप को 23 लाख डॉलर दिए।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि यह अमीन अलगारोव वही सज्जन हैं, जिन्होने हिलेरी क्लिंटन के ई-मेल लीक का मामला ट्रंप को बताया था। कहा जाता है कि यह ई-मेल लीक और टैपिंग का काम क्रेमलिन यानी रूसी सरकार के कहने पर किया गया था। यानी क्रेमलिन से जिस आदमी के संपर्क थे, उसकी कंपनी ने मिस यूनिवर्स का आयोजन किया था और उसमें ट्रंप की कंपनी को फ़ायदा हुआ था। यह कॉनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट नहीं तो क्या है?

घाटा ही घाटा क्यों?

एक सवाल और है, ट्रंप की कंपनियों को इतना घाटा कैसे होता रहता है। हालांकि इसका पता नहीं चला है, पर यह तो साफ है कि ये कंपनियां बहुत ही ज़्यादा खर्च करती हैं। मजेदार बात यह है कि ये खर्च ट्रंप की बेटी इवांका, उनके दोनों बेटों और दामाद पर होते हैं। उनका वेतन करोड़ों में है। इवांका ट्रंप के हेयर स्टाइलिस्ट को ही कंपनी ने लाखों डॉलर का भुगतान किया। 
और तो और, एक पोर्न स्टार ने दावा किया कि ट्रंप ने उसके साथ समय बिताया था और वह इस पर एक किताब लिखने वाली थी। उसे समझा बुझा कर चुप कराया गया और उसके इसके एवज में उसे 1.30 लाख डॉलर दिए गए। यह भुगतान भी ट्रंप की एक कंपनी ने ही किया।
मुख्य बात यह है कि एक अमेरिकी पत्रिका ने बेखौफ़ होकर इस पर काम किया और उसने 15 साल का टैक्स रिटर्न पता लगाया, उसने पूरा कच्चा चिट्ठा खोल कर रख दिया। यह काम अमेरिका चुनाव के ठीक पहले हुआ।
ज़ाहिर है, इसका अमेरिकी चुनाव में भारी असर पड़ सकता है और पहले से ही चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन से काफी पीछे चल रहे ट्रंप के लिये ये खुलासा बहुत बडा सिरदर्द साबित हो सकता है।
लेकिन यहाँ एक सवाल और है भारत के संदर्भ में। क्या भारत का कोई मीडिया घराना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जुड़ा कोई रहस्योद्घाटन कर सकता है? इसी भारतीय मीडिया ने पहले बोफोर्स घोटाले का भी भंडाफोड़ किया है। 2जी से लेकर कॉमनवेल्थ घोटाले और कोयला घोटाले पर भी खबरें हुई थीं।
पर अब क्या हो गया है? अब कोई मीडिया पहले की तरह ख़बरें क्यों नहीं करता है? न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी ख़बर का महत्व यही है कि ऐसा भारत में क्यों नहीं हो सकता।
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