पेशाब से ईंटें भी बन सकती हैं! यह खोज अभी हाल में दक्षिण अफ़्रीका के केपटाउन विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग छात्रों ने की है। इनका दावा है कि ये ईंटें सामान्य ईंटों के मुक़ाबले ज़्यादा मज़बूत भी होंगी, ज़रूरत पड़ने पर इनकी मज़बूती और बढ़ाई भी जा सकती है। इन्हें बनाने के लिए किसी ईंट भट्टे की ज़रूरत भी नहीं। बस हवा में सूखने के लिए रख दीजिए, ईंटें तैयार हो जाएँगी। पर्यावरण भी बचेगा, पेशाब भी खप जायेगा, और ईंटें बेच कर पैसा भी मिलेगा। अब और क्या चाहिए!

केपटाउन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ लेक्चरर डॉ. डिलन रैंडल के निर्देशन में यह खोज उनके छात्रों सूज़ान लाम्बे और वुखेटा मुखारी ने की। ईंटे बनाने के लिए मनुष्य के पेशाब को रेत और बैक्टीरिया के साथ मिला कर रखा जाता है। जिस शक्ल में ईंट बनानी हो, वैसे साँचे में इस मिश्रण को डाल दिया जाता है। इस प्रक्रिया को माइक्रोबियल कॉर्बोनेट प्रिसिपिटेशन कहते हैं और इससे यूरीज़ नाम का एन्ज़ाइम पैदा होता है, जो एक जटिल रासायनिक प्रक्रिया के दौरान पेशाब के यूरिया को तोड़ता है और कैल्शियम कॉर्बोनेट का निर्माण करता है। बस हो गई ईंट तैयार।