इज़रायल-फ़लस्तीन के बीच जारी ख़ून-ख़राबे को रोक पाने में नाकामी के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की आलोचना शुरू हो गई है। यह आलोचना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तो हो ही रही है, उनकी अपनी पार्टी के सांसद तक कर रहे हैं। उन्हें ऐसा लग रहा है कि जो बाइडेन न केवल सुस्ती दिखा रहे हैं, बल्कि उनका रवैया भी वह नहीं है जो होना चाहिए।
क्या पहली अंतरराष्ट्रीय परीक्षा में ही फेल हो गए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन?
- दुनिया
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- 18 May, 2021

अमेरिका के आत्मरक्षा के तर्क की चारों तरफ आलोचना हो रही है, क्योंकि यह एक उपनिवेशवादी अवधारणा है। तमाम औपनिवेशिक ताक़तें अपने ख़िलाफ़ होने वाले संघर्षों को कुचलने के लिए इसी तरह के तर्क देती आ रही हैं। इज़राइल भी एक औपनिवेशिक शक्ति की तरह व्यवहार करते हुए बर्बरता से पेश आ रहा है इसलिए आत्मरक्षा का तर्क वह रक्षाकवच की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता।
बाइडेन ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान संकेत दिए थे कि वे इज़रायल के प्रति कड़ा रवैया अख़्तियार करेंगे, जिसका सीधा सा मतलब था कि वे ट्रम्प की इज़रायल की गुंडागर्दी को समर्थन देने वाली नीति नहीं चलने देंगे। राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने इज़रायल की उपेक्षा करके भी ये जताने की कोशिश की थी कि वे अपने रवैये पर क़ायम हैं। दुनिया भर के नेताओं से उन्होने बात की थी, मगर नेतान्याहू को एक फोन तक नही किया था। इससे इज़रायल में बेचैनी भी थी।
मगर जब अपनी नीति के प्रदर्शन का मौक़ा आया तो बाइडेन पीछे हट गए या दुविधा में फँस गए। इज़रायल-हमास के हमलों के एक हफ़्ते होने और दो सौ से अधिक जानें चली जाने के बाद भी वह कोई सकारात्मक हस्तक्षेप कर पाने में नाकाम रहे हैं। उन्होंने इज़रायल से हमले रोकने के लिए भी नहीं कहा।