ईरानी विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन का कहना है कि पश्चिम ग़ज़ पट्टी में जमीनी तथ्यों को बिगाड़ने के लिए इजराइल अपने अपराधों को वैध बनाने की कोशिश कर रहा है। अमीर-अब्दुल्लाहियन ने शुक्रवार शाम दमिश्क में सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ एक बैठक में यह टिप्पणी की। उन्होंने संकेत दिया कि फिलिस्तीन प्रतिरोध मोर्चा यानी हमास लंबे समय तक रंगभेदी इजराइली शासन के खिलाफ खड़े होने की क्षमता रखता है। उन्होंने कहा कि ईरान कई देशों के संपर्क में है।
ईरान के विदेश मंत्री का दौरा रणनीतिक है। पूरी दुनिया में तमाम देश इस युद्ध पर बंटते जा रहे हैं। ईरान ने हमास को शुरू से सहयोग और समर्थन दिया है। 7 अक्टूबर को जब हमास ने इजराइल पर हमला किया तो ईरान के सुप्रीम लीडर सैयद अली खामेनाई ने अपनी प्रतिक्रिया में साफ किया कि ईरान इस हमले में शामिल नहीं है लेकिन वो हमास के फिलिस्तीनी प्रतिरोध का समर्थन करता है। ईरान फिलीस्तीन के निर्दोष लोगों के साथ खड़ा है। ईरान के अलावा कतर, जोर्डन, इजिप्ट, रूस, चीन आदि ने हमास का समर्थन करते हुए इजराइल से ग़ज़ा में फिलिस्तीनियों का कत्ल-ए-आम रोकने की अपील की। सबसे मुश्किल में सऊदी अरब फंसा। क्योंकि अमेरिका बिचौलिया बनकर इजराइल से शांति समझौता करा रहा था। इस शांति समझौते से ईरान अलग-थलग पड़ जाता। बाकी मुस्लिम देश सऊदी अरब और यूएई से शक्तिशाली नहीं है। लेकिन एक युद्ध ने बाजी पलट दी। सऊदी अरब और ईरान की बातचीत बहुत बड़े स्तर पर शुरू हो गई। ईरान मुस्लिम देशों और खासकर खाड़ी देशों के बीच तालमेल कर नई व्यूह रचना को आकार दे रहा है।
सीरिया पहुंचे ईरान के विदेश मंत्री ने शुक्रवार शाम को दमिश्क में कहा कि अमेरिका एक तरफ तो फ़िलिस्तीनी समूहों से संयम बरतने को कह रहा है और दूसरी तरफ ग़ज़ा पट्टी में आम लोगों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए इजराइली सेना को विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद की आपूर्ति कर रहा है। उन्होंने कहा कि इजराइल युद्ध अपराध में लिप्त है और इसे अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
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कुछ अंतरराष्ट्रीय और पश्चिमी अधिकारी ईरानी अधिकारियों के संपर्क में हैं, और दोनों पक्ष फिलिस्तीन में ताजा घटनाक्रम पर विचारों का आदान-प्रदान कर रहे हैं। ईरान की मांग है कि फौरन इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाकर इस पर विचार किया जाए। यह समय एकजुटता का है।
-हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन, ईरानी विदेश मंत्री, सीरिया में 13 अक्टूबर को सोर्सः अल जजीरा
शीर्ष ईरानी मंत्री ने कहा कि ग़ज़ा में महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की नृशंस हत्या, क्षेत्र में पानी, बिजली और ईंधन की पूर्ण घेराबंदी और आपूर्ति में कटौती और घरों, सार्वजनिक सुविधाओं, अस्पतालों, एंबुलेंस पर बमबारी बहुत बड़ा युद्ध अपराध बताया है। यही वजह है कि हम सभी फिलिस्तीन के साथ हैं। ईरानी विदेश मंत्री सीरिया से लेबनान और जोर्डन जाने वाले हैं।
ईरान के विदेश मंत्री हुसैन अमीर ने लेबनान की राजधानी बेरूत में लेबनानी संसद के अध्यक्ष नबीह बेरी के साथ बैठक की। लेबनान में ईसाई हुकूमत है, जिसे ईरान समर्थक हिजबुल्लाह का समर्थन प्राप्त है। हिजबुल्लाह लेबनान की सुरक्षा करने वाली सेना है। दोनों नेताओं ने अपने बयान में इज़राइल के ख़िलाफ़ फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूह (हमास) के अभियान को "फ़िलिस्तीनियों का यह कदम ज़ायोनी शासन के निरंतर उग्रवाद के प्रति एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया" बताया है। हमें यह "अस्वीकार्य" है कि अमेरिका और यूरोप वास्तव में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के शासन को युद्ध अपराध करने की खुली छूट दे रहे हैं।
बेरूत में हमास और कई अन्य समूहों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में, अमीर हुसैन ने कहा कि कुछ पश्चिमी अधिकारियों ने भी कबूल किया है कि ऑपरेशन अल-अक्सा प्लड ने साबित कर दिया है कि फिलिस्तीन जीवित है। बड़े पैमाने पर किए गए ऑपरेशन से यह तथ्य भी उजागर हुआ कि कुछ देशों द्वारा इजराइली शासन के साथ संबंधों को सामान्य बनाने से फिलिस्तीनी मुद्दे को सुलझाने में मदद नहीं मिलेगी।
उधर, रूस, चीन, कतर, जोर्डन आदि ने इजराइल से ग़ज़ा में खून खराबे की कार्रवाई रोकने को कहा है। जोर्डन के विदेश मंत्री ऐमन सफादी का कड़ा बयान सामने आया है। जोर्डन फिलिस्तीन और इजराइल का पड़ोसी मुल्क है। जोर्डन के विदेश मंत्री ऐलन सफादी ने कहा- “ग़ज़ा पट्टी में उग्र इजरायली युद्ध फिलिस्तीनियों को सामूहिक सजा दे रहा है और पूरे क्षेत्र को मटियामेट करने की तरफ बढ़ रहा है।
युद्ध रोकने में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तो विफल है ही, साथ वो उन निर्दोष नागरिकों की रक्षा करने में भी विफल है जिन्हें आश्रय या भोजन नहीं मिल सकता है। ग़ज़ा के लोग जिस युद्ध और विनाश से जूझ रहे हैं उस पर चुप्पी उस आक्रामकता पर चुप्पी है जिसने ग़ज़ावासियों से उनके अधिकारों को छीन लिया है।
जोर्डन ने कहा- फ़िलिस्तीनी नागरिक इज़राइली नागरिकों से कम मानवीय नहीं हैं, और इज़राइल ने जिस युद्ध की घोषणा की थी उसका उद्देश्य हमास को ख़त्म करना था और निर्दोष फ़िलिस्तीनियों को मारना और विस्थापित करना था। हम फ़िलिस्तीनियों के उनकी मातृभूमि से विस्थापन को अस्वीकार करते हैं और चेतावनी देते हैं कि इजराइल द्वारा इसे थोपने का प्रयास पूरे क्षेत्र को रसातल की ओर धकेल देगा।
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