ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़े पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान अपने देश के कट्टरपंथी मौलानाओं के दबाव में आख़िरकार आ ही गए। पाकिस्तान सरकार ने रमज़ान के दौरान मसजिदों में नमाज़ पढ़ने और विशेष सामूहिक नमाज तवारीह की छूट दे दी है। लेकिन इसके साथ ही कुछ शर्तें जोड़ दी गई हैं।
क्या है मामला?
कोरोना की वजह से सोशल डिस्टैंसिंग को ध्यान में रखते हुए पहले पाकिस्तान सरकार ने मसजिदों में नमाज़ पढ़ने के लिए बड़ी तादाद में लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगा दी थी।
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कट्टरपंथी इमामों और मौलानाओं ने इसका जम कर विरोध किया। बाद में सरकार के साथ उनके प्रतिनिधियों की बैठक हुई और समझौता हुआ।
मसजिदों में लोगों के एकत्रित होने, नमाज़ और तरावीह की छूट दी गई है, पर इसके लिए कुछ शर्तों का पालन करना होगा। इन शर्तों के उल्लंघन करने वाली मसजिदों से इस तरह की छूट वापस ले ली जाएगी।
समझौता
पाकिस्तान के सभी प्रांतों के इमामों और दूसरे धार्मिक प्रतिनिधियों के साथ सरकार के अफ़सरों की बैठक के बाद राष्ट्रपति आरिफ़ अलवी ने समझौते का एलान किया। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच 20 बिन्दुओं पर सहमति हो गई है।पाकिस्तान उलेमा कौंसिल ने कहा है कि वह मसजिदों में सोशल डिस्टैंसिंग से जुड़े सरकारी दिशा निर्देश को मानने को तैयार है।
इसके अध्यक्ष हाफ़िज़ ताहिर अशरफ़ी ने मोमिनों से कहा है कि वे रोकथाम से जुड़े दिशा निर्देशों का पालन करें।
इस समझौते के मुताबिक़, 50 साल के अधिक की उम्र के लोग, नाबालिग और जिन्हें फ़्लू जैसा रोग हो, वैसे लोगों को मसजिदों में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
- विशेष सामूहिक नमाज़ तरावीह सड़क, फ़ुटपाथ और खुले में कहीं नहीं की जा सकती है, इसकी अनुमति सिर्फ मसजिद के अंदर ही है।
- मसजिद के अंदर के गलीचे या दरियाँ हटा दी जाएंगी, फ़र्श को कीटनाशक दवाओं से नियमित साफ़ किया जाएगा।
- दो लोगों के बीच कम से कम 6 फीट का अंतर रखा जाएगा, चेहरे पर मास्क लगाना ज़रूरी होगा, लोग एक दूसरे से गले नहीं मिलेंगे न ही हाथ मिलाएंगे।
विवाद तब शुरू हुआ जब इमरान ख़ान सरकार ने धार्मिक कार्यक्रमों में 5 से ज़्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी। ऐसा देश में कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए किया गया है।
पाकिस्तान में इस वायरस से संक्रमित होने वालों की संख्या 6000 के क़रीब पहुंच चुकी है और 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
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