फिलिस्तीनी एन्क्लेव ने कहा कि है कि ग़ज़ा पर इजराइली हवाई हमलों में अब तक कम से कम आठ पत्रकार मारे गए और दो अन्य लापता हो गए। शनिवार को इजराइल पर हमास के अचानक हमले के बाद इजराइल ने शनिवार रात से ही बमबारी शुरू कर दी थी। ग़ज़ा में 1200 लोग मारे जा चुके हैं और यूएन के मुताबिक 350000 लोग बेघर हो गए हैं।
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फिलिस्तीनी संस्था ने कहा कि मारे गए पत्रकारों में सईद अल-ताविल, मुहम्मद सुभ, हिशाम एन-नवासिहे, इब्राहिम लफी, मुहम्मद सेरगुन, मुहम्मद एस-सलीही, एसाद शेमलाह और सेलामे माइम हैं। दो अन्य पत्रकार निदाल अल-वाहिदी और हेसेम अब्दुल वाहिद का कोई पता नहीं चला है।
हमास-इज़राइल युद्ध का गुरुवार को छठा दिन है। इज़राइल की बमबारी ग़ज़ा पर बराबर जारी है। ग़ज़ा में मेडिकल सुविधा नाम की चीज बची नहीं है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि वो कसम खाते हैं कि हमास को पूरी दुनिया में कुचल कर रख देंगे। उधर खबर है कि इजराइली फौज ग़ज़ा में जमीनी लड़ाई के लिए कभी भी घुस सकती है। उसने सीमा से सटे फिलिस्तीन वाले इलाके में कई जगह घरों की तलाशी ली है।
फिलिस्तीन एन्क्लेव ने कहा- तीन पत्रकारों के घर पूरी तरह से नष्ट हो गए। कम से कम 40 मीडिया आउटलेट इजराइली हवाई हमलों का निशाना बने हैं। हमास के हमले के बाद ही ग़ज़ा पट्टी में स्थिति बिगड़ गई। ग़ज़ा में पानी और बिजली गायब है।
पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने ग़ज़ा में सात पत्रकारों के मारे जाने की बात कही है। सीपीजे ने कहा कि ग़ज़ा पट्टी पर हमले शुरू होने के बाद पत्रकारों के काम पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। सीपीजे संघर्ष में मारे गए, घायल, हिरासत में लिए गए या लापता पत्रकारों की सभी रिपोर्टों की जांच कर रहा है। लड़ाई के पहले पाँच दिनों में, कम से कम सात पत्रकार मारे गए, दो लापता थे और दो घायल हो गए थे।
सीपीजे ने कहा- "सीपीजे इस बात पर जोर देता है कि पत्रकार संकट के समय महत्वपूर्ण काम करने वाले नागरिक हैं और उन्हें युद्धरत दलों द्वारा निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। दुनिया भर में लाखों लोग संघर्ष के बारे में सटीक जानकारी पाने के लिए उस क्षेत्र के पत्रकारों पर भरोसा कर रहे हैं। सभी नागरिकों की तरह पत्रकारों का भी सम्मान और सुरक्षा की जानी चाहिए।”
सीपीजे ने फ़िलिस्तीनी शरणार्थी शिविर अल-ब्यूरिज के पूर्व में सीमा पर फ्रीलांस पत्रकार एल-सलाही की गोली मारकर हत्या करने का मामला इजराइल से उठाया है। सीपीजे ने कहा- "हम इज़राइल रक्षा बलों से फ़िलिस्तीनी पत्रकार मोहम्मद अल-सलाही की हत्या की गहन जांच करने, गोलीबारी के लिए ज़िम्मेदार लोगों की पहचान करने और उन्हें जिम्मेदार ठहराने का आग्रह करते हैं। इज़राइल की सेना को इज़राइल-गाजा संघर्ष को कवर करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने चाहिए।"
इज़राइली रक्षा बलों के प्रवक्ता ने सीपीजे की ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया है। ग़ज़ा में बहुत कम विदेशी पत्रकार हैं। ज्यादातार समाचार एजेंसियां और टीवी चैनल ग़ज़ा के स्थानीय पत्रकारों पर निर्भर हैं। ग़ज़ा में अल जज़ीरा के पत्रकारों की संख्या सबसे ज्यादा है।
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