पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान में इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का इसलाम विरोधी कॉन्टेन्ट न चले। कुछ ही दिन पहले मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान नियाज़ी ने फ़ेसबुक के सीईओ मार्क ज़करबर्ग को चिट्ठी लिखकर कहा था कि वह इस तरह की पोस्ट्स को रोकें जो इसलामोफ़ोबिया और इसलाम के प्रति नफ़रत को बढ़ावा देती हों।
इस चिट्ठी में उन्होंने फ़ेसबुक पर आ रहे ऐसे कॉन्टेन्ट के लिए भारत और फ्रांस को जिम्मेदार ठहराया था। इमरान ने इससे मुसलमानों में रैडिकलाइजेशन बढ़ने की भी चेतावनी दी थी।
टिक-टॉक को किया था बैन
कुछ महीने पहले पाकिस्तान ने जब टिक-टॉक को बैन कर दिया था तो हवाला दिया था कि इसके जरिये अनैतिक, बेहूदा और अश्लीलता भरा कॉन्टेन्ट परोसा जा रहा है। इसे लेकर वहां की अवाम ने मिला-जुला रिएक्शन दिया था। युवा इससे नाराज़ दिखे जबकि उम्रदराज लोगों का कहना था कि हुक़ूमत का यह क़दम सही है।
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर लगाम लगाने के इन्हीं बढ़ते क़दमों के चलते गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर ने उसे धमकी दी है कि वह देश से बाहर निकल जाएंगी।
एआईसी की चेतावनी
इन कंपनियों के संगठन एशिया इंटरनेट कोलेशन (एआईसी) को ये धमकी देने के लिए इसलिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि इमरान ख़ान ने पाकिस्तान के सोशल और डिजिटल मीडिया रेग्युलटर्स को ज़्यादा हक़ दे दिए हैं। एआईसी ने कहा है कि पाकिस्तान के नए क़ानून इंटरनेट कंपनियों को निशाना बना रहे हैं।
एआईसी ने कहा है कि इस तरह के नियम-क़ायदों से लोगों की इंटरनेट तक पहुंच बंद हो जाएगी और पाकिस्तान की डिजिटल इकॉनमी को भी नुक़सान होगा। संगठन ने चेताया है कि ऐसे नियमों के चलते उसके लिए पाकिस्तान के लोगों को अपनी सेवाएं देना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
पाकिस्तान में सोशल मीडिया के लिए बने नए नियमों से वहां के लोगों के बोलने की आज़ादी ख़त्म हो जाएगी और यह उसे एक कट्टरपंथी इसलामिक मुल्क़ बनने को मजबूर करेंगे।
याचिका में भी यही आधार
कट्टरपंथियों के दबाव में इमरान
इससे पता चलता है कि ऑक्सफ़ोर्ड में पढ़े-लिखे और लंबा वक्त विदेशों में गुजार चुके इमरान ख़ान भी धार्मिक कट्टरपंथियों के दबाव में आ चुके हैं। क्योंकि इन कंपनियों की धमकी से पाकिस्तान को दो बड़े नुक़सान होंगे। पहला यह कि वहां की यंग जेनरेशन गूगल से मिलने वाली दुनिया भर की जानकारी से अनजान हो जाएगी और दूसरा इंटरनेट के जरिये वहां के युवा और बाक़ी लोग जो बिजनेस कर रहे हैं, वो ठप हो जाएगा और इससे सीधे तौर पर बेरोज़गारी और पिछड़ापन बढ़ेगा।
बीते कुछ वक़्त में पाकिस्तान में बड़ी संख्या में युवा टिक-टॉक और यू ट्यूब पर आए हैं और उन्होंने पैसे कमाने के साथ ही बाहर के मुल्कों में पहचान भी बनाई है। लेकिन पाकिस्तान सरकार के नए नियमों के बाद अगर सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनियां वहां अपनी सर्विस बंद करती हैं तो यह उनके लिए बड़ा झटका होगा।
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