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भूकंपः पत्ते की तरह म्यांमार-थाईलैंड में ढह गईं इमारतें

सड़क पर चलती हुई गाड़ी अचानक ज़ोर-ज़ोर से हिलने लग जाए। आँखों के सामने पलक झपकते ही आसमान को छू रही एक इमारत भड़भड़ाकर गिर जाए। स्विमिंग पूल का पानी बाहर आ जाए।

थाईलैंड और म्यांमार में 28 मार्च को लोगों को कुछ ऐसे ही नज़ारे दिखे।  रिक्टर स्केल पर 7.7 की तीव्रता वाले इस भायनक भूकंप ने तबाही मचाकर रख दी है। अब तक म्यांमार में  1,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।  2,376 से अधिक लोग घायल भी हो गये हैं। वहीं थाईलैंड में अब तक 10 लोगों की मौत की खबर आई है। वहीं 50 लोगों के एक बन रही बिल्डिंग के गिरने पर फंसने की ख़बर भी आई है। यह निर्माणाधीन इमारत तीस मंजिला थी। कई लोगों ने इस इमारत को गिरते देखा।

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लोगों ने बताया आंखों देखा हाल!   सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो घूम रहे हैं जिनमें इमारत एकदम झूले की तरह झूल रहे हैं। उनकी छतों पर बने स्वीमिंग पूल से पानी बाहर गिर रहा है। एक वीडियो ऐसा भी नज़र आया है जिसमें छत से गिरे पानी से लोग बह गये हैं।
वहाँ छुट्टी मना रहे भारतीय पर्यटकों ने तरह-तरह से अपने अनुभवों को बयां किया है। सफदर नाम के एक पर्यटक ने मीडिया को बताया कि काफी ऊंची इमारतें हिल रही थीं। बड़े-बड़े स्वीमिंग पूल से पानी बाहर आ रहा था। लोग डर गए थे कि इमारत गिर सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। थाईलैंड में पब्लिक ट्रांसपोर्ट जरूर कुछ घंटे के लिए बंद हो गये थे।

एक दूसरे पर्यटक ने बताया कि “वे तब जागे जब उन्हें अपना बिस्तर हिलता हुआ दिखाई दिया। वे भागते हुए ग्राउन्ड फ्लोर की ओर गये।“ 
इस भूकंप के बाद पूरे थाईलैंड में अफरा-तफरी फैल गई थी। सड़कों पर  लंबे जाम लग गये थे। यह ट्रैफिक जाम इतना सघन था कि तीस किलोमीटर की दूरी तय करने में भी चार-पाँच घंटे लग रहे थे। थाईलैंड में बैंकॉक के अलावा उत्तरी क्षेत्रों में भी नुकसान की खबरें हैं। बैंकॉक के गवर्नर चाडचार्ट सिट्टिपुंट ने बताया कि शहर में 10 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से अधिकांश निर्माणाधीन इमारत के ढहने से मारे गए। बचाव दल मलबे में फंसे लोगों की तलाश में जुटे हुए हैं। थाईलैंड ने फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए अन्य देशों से मदद की गुहार भी लगाई है। 

भारत सहित कई देशों ने बढ़ाया मदद का हाथ

वहीं म्यांमार में हालात और भी बुरे हैं। देश की राजधानी नेपीडॉ में बिजली और पानी की आपूर्ति बाधित हो गई है। ​भारत ने म्यांमार को सहायता भेजी है, जिसमें टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, तैयार भोजन, जल शुद्धिकरण उपकरण, सौर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाइयाँ शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भारत आपदा राहत विभाग के 80 लोगों को भी म्यांमार भेजने की तैयारी कर रहा है। चीन, रूस, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य देशों ने भी सहायता भेजी है। 
गौरतलब है कि म्यांमार में पहले से ही चल रहे गृहयुद्ध के कारण राहत कार्यों में बाधाएँ आ रही हैं। इस गृह युद्ध की वजह से लाखों लोग विस्थापित हो गये हैं, अब भूकंप आने से स्थिति और खराब हो गई है। बताया जा रहा है कि सबसे अधिक नुकसान म्यांमार के केन्द्रीय इलाके को हुआ है। 
इस भूकंप का प्रभाव चीन के कुछ हिस्सों पर भी पड़ा था, जिसके वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। अब तक कोई खास जानकारी नहीं है कि चीन में कितना नुक़सान हुआ है।

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प्रकृति कभी भी रौद्र रूप अख्तियार कर सकती है। थाईलैंड और म्यांमार में आए इस भूकंप ने प्रकृति की अनिश्चितता को फिर से ज़ाहिर किया है। हालांकि दोनों पीड़ित देशों को पड़ोसी देशों द्वारा दिया गया त्वरित मदद जरूर राहत है।

रिपोर्टः अणुशक्ति सिंह
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