क्रांतियों का इतिहास है कि क्रांतिकारी परंपरागत राहों पर नहीं चलते बल्कि जहाँ वे चलते हैं, वहाँ ख़ुद ब ख़ुद राहें बन जाती हैं। 14 जून 1928 में जन्म लेने वाले अर्जेंटीनियाई क्रांतिकारी, डॉक्टर, लेखक, सामरिक सिद्धांतकार, कूटनीतिज्ञ और विलक्षण गुरिल्ला नेता अर्नैस्तो चे ग्वेरा क्रांति के ऐसे जीवंत हस्ताक्षर थे- वह जहाँ चले राहें बनतीं गईं। भारतीय उपमहाद्वीप में जो मुकाम शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आज़ाद को हासिल है, ठीक वैसा ही क्यूबा में चे ग्वेरा को। वहाँ क्रांति का दूसरा नाम ग्वेरा हैं।