कनाडा की जासूसी एजेंसी ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। एजेंसी का मानना है कि 28 अप्रैल, 2025 को होने वाले कनाडाई आम चुनावों में भारत और चीन जैसे देश हस्तक्षेप करने की कोशिश कर सकते हैं। यह चेतावनी कनाडा की सुरक्षा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए एक गंभीर मुद्दा बनकर उभरी है।
कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा (CSIS) ने कहा कि इन देशों के अलावा रूस और पाकिस्तान भी संभावित रूप से चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं। यह बयान सोमवार को जारी किया गया, जिसने कनाडा की राजनीतिक और सुरक्षा व्यवस्था में हलचल मचा दी।
विदेशी हस्तक्षेप का खतरा
CSIS के अनुसार, विदेशी ताकतें कनाडा के चुनावों में दखल देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकी टूल्स का इस्तेमाल कर सकती हैं। ये उपकरण मतदाताओं को प्रभावित करने, गलत सूचनाएं फैलाने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने में सक्षम हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत और चीन की ओर से ऐसा कदम कनाडा के साथ उनके कूटनीतिक संबंधों को और तनावपूर्ण बना सकता है। खास तौर पर भारत के साथ कनाडा के रिश्ते हाल के वर्षों में कई मुद्दों पर तनावग्रस्त रहे हैं, और यह नया घटनाक्रम स्थिति को और जटिल कर सकता है।
समय और संदर्भः यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब कनाडा में नये प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और उनके कंजर्वेटिव प्रतिद्वंद्वी ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया है। दोनों नेताओं ने 24 मार्च, 2025 को अपने अभियान की शुरुआत की, जिसके बाद यह रिपोर्ट सामने आई। CSIS का कहना है कि विदेशी हस्तक्षेप का खतरा केवल कनाडा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक लोकतंत्र के लिए भी चिंता का विषय है।
कनाडा-भारत संबंधों पर प्रभाव
भारत और कनाडा के बीच पहले से ही कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं, जैसे कि खालिस्तानी समर्थन और कूटनीतिक विवाद। इस रिपोर्ट के बाद इन संबंधों में और तनाव आने की आशंका है। कनाडाई अधिकारियों का मानना है कि यदि भारत वास्तव में चुनाव में हस्तक्षेप करता है, तो यह दोनों देशों के बीच विश्वास को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। हालांकि, अभी तक इस दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
कनाडा सरकार और उसकी खुफिया एजेंसियां इस खतरे से निपटने के लिए तैयारियां कर रही हैं। चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी और नीतिगत कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही, कनाडाई नागरिकों से भी अपील की गई है कि वे सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से फैलने वाली गलत सूचनाओं के प्रति सतर्क रहें।
यह घटनाक्रम न केवल कनाडा के आगामी चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ग्लोबल स्तर पर लोकतंत्र और तकनीक के दुरुपयोग पर भी सवाल उठाता है। आने वाले दिनों में इस मामले पर और जानकारी सामने आने की उम्मीद है, जो इस संकट की गहराई को और स्पष्ट करेगी।
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