दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के ख़िलाफ़ चल रहे नकदी विवाद ने न केवल न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि केंद्र सरकार और न्यायिक व्यवस्था के बीच एक नए टकराव की आहट भी सुनाई दे रही है। इस विवाद के बीच केंद्र सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन यानी एनजेएसी को फिर से शुरू करने के संकेत दिए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में असंवैधानिक क़रार देकर खारिज कर दिया था। एनजेएसी जजों की नियुक्ति से जुड़ा है जिसे कॉलेजियम सिस्टम की जगह लाने की कोशिश की जाती रही है। तो सवाल है कि क्या यह क़दम जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका के बीच पुरानी जंग को फिर से हवा देगा?
जस्टिस वर्मा विवाद के बाद फिर लौट सकता है NJAC का जिन्न!
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- सत्य ब्यूरो
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- 25 Mar, 2025
जस्टिस यशवंत वर्मा नकदी विवाद के बीच केंद्र सरकार ने NJAC को फिर से लागू करने के संकेत दिए। क्या इससे केंद्र और न्यायपालिका के बीच नया टकराव खड़ा होगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

जस्टिस यशवंत वर्मा मामले के बाद एनजेएसी चर्चा में आया है। जस्टिस वर्मा मामला तब सुर्खियों में आया, जब उनके सरकारी आवास पर 14 मार्च 2025 को आग लगने की घटना के बाद वहाँ से भारी मात्रा में नकदी बरामद होने की ख़बरें सामने आईं। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जस्टिस वर्मा के ख़िलाफ़ सीबीआई और ईडी से जाँच की माँग की है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने उन्हें दिल्ली से इलाहाबाद हाई कोर्ट ट्रांसफर करने की सिफ़ारिश की, जिसे लेकर भी विवाद बढ़ गया। इस घटना ने न्यायिक व्यवस्था में जवाबदेही और पारदर्शिता के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है।