दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के ख़िलाफ़ चल रहे नकदी विवाद ने न केवल न्यायपालिका की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि केंद्र सरकार और न्यायिक व्यवस्था के बीच एक नए टकराव की आहट भी सुनाई दे रही है। इस विवाद के बीच केंद्र सरकार ने नेशनल ज्यूडिशियल अप्वाइंटमेंट कमीशन यानी एनजेएसी को फिर से शुरू करने के संकेत दिए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में असंवैधानिक क़रार देकर खारिज कर दिया था। एनजेएसी जजों की नियुक्ति से जुड़ा है जिसे कॉलेजियम सिस्टम की जगह लाने की कोशिश की जाती रही है। तो सवाल है कि क्या यह क़दम जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और न्यायपालिका के बीच पुरानी जंग को फिर से हवा देगा?