बंगाल में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की प्रतिमा को भी कोई तोड़ सकता है, यह कल तक अकल्पनीय था लेकिन कल बीजेपी के समर्थकों ने यह करके दिखा दिया कि बंगाल अब वाक़ई बदल रहा है। तृणमूल समर्थकों द्वारा अमित शाह के रोड शो को काले झंडे दिखाने और ‘चौकीदार चोर है’ के नारे लगाने से नाराज़ सैकड़ों बीजेपी समर्थकों ने विद्यासागर के नाम से बने एक कॉलेज में घुसकर न केवल भारी तोड़फोड़ की, बल्कि वहाँ लगी विद्यासागर की प्रतिमा को भी तोड़ दिया। स्पष्ट है, बीजेपी के ये समर्थक नहीं जानते कि विद्यासागर कौन थे और बंगाल के नवजागरण में उनकी क्या भूमिका थी।
'विद्यासागर की प्रतिमा तोड़ कर क्या बीजेपी ने किया अपना ही नुक़सान?'
- विचार
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- 15 May, 2019

विद्यासागर की मूर्ति तोड़ कर बीजेपी के समर्थक कैसी वैचारिक प्रतिबद्धता दिखा रहे हैं? विद्यासागर ने उनका क्या बिगाड़ा है? क्या वे विद्यासागर से इसलिए नाराज़ थे कि उन्होंने बांग्ला भाषा की वर्णलिपि में व्यापक सुधार और मानकीकरण किया? नहीं, वे विद्यासागर से नाराज़ नहीं थे। नाराज़ तो तब होते जब उनको पता होता कि विद्यासागर कौन थे। लगता तो यही है कि ‘विद्या, विवेक और संस्कार’ से शून्य बीजेपी के ये समर्थक विद्यासागर को जानते ही नहीं हैं।
नीरेंद्र नागर सत्यहिंदी.कॉम के पूर्व संपादक हैं। इससे पहले वे नवभारतटाइम्स.कॉम में संपादक और आज तक टीवी चैनल में सीनियर प्रड्यूसर रह चुके हैं। 35 साल से पत्रकारिता के पेशे से जुड़े नीरेंद्र लेखन को इसका ज़रूरी हिस्सा मानते हैं। वे देश