क्या देश में हर चीज धर्म के नाम पर तय होगा? क्या हर चीज को धार्मिक चश्मे से देखा जाएगा? खाने में भी धर्म क्यों ढूँढा जा रहा है? क्या हम 'तालिबान' बनने के रास्ते पर हैं। अमित शुक्ला के साथ इतने लोग खड़े क्यों हैं? देखिए आशुतोष की बात में क्यों है हंगामा।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।