सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में संशोधन को सही ठहराकर संघ परिवार को हिला दिया क्या कोर्ट ने उसकी इस धारणा को ध्वस्त कर दिया कि संविधान में धर्मनिर्पेक्षता और समाजवाद नहीं होने चाहिए?
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तावना में संशोधन को सही ठहराकर संघ परिवार को हिला दिया क्या कोर्ट ने उसकी इस धारणा को ध्वस्त कर दिया कि संविधान में धर्मनिर्पेक्षता और समाजवाद नहीं होने चाहिए?