धर्म के आधार पर लाए गए नागरिकता संशोधन विधेयक क्या संविधान का उल्लंघन नहीं है? क्या संविधान में धर्म के आधार पर किसी क़ानून बनाने की इजाज़त है? ऐसे में संसद से मंज़ूरी मिलना क्या संविधान के साथ खिलवाड़ नहीं है? सत्य हिंदी पर देखिए इन सवालों के जवाब आशुतोष की बात में।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।