उत्तराखंड में बीते दिनों हुए अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में उठे एक सवाल ने सबको हैरान कर दिया है। सवाल यह है कि इस मामले में मुख्य अभियुक्त पुलकित आर्य के रिजॉर्ट पर आखिर बुलडोजर किसके कहने पर चलाया गया। बताना होगा कि उत्तराखंड में 18 सितंबर से लापता हुई अंकिता भंडारी का शव 24 सितंबर की सुबह मिला था। लेकिन 23 सितंबर की रात को अभियुक्त पुलकित आर्य के रिजॉर्ट पर बुलडोजर की कार्रवाई हुई थी।
इस मामले में वनन्तरा रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य, रिजॉर्ट के प्रबंधक सौरभ भास्कर और सहायक प्रबंधक अंकित उर्फ पुलकित गुप्ता को गिरफ्तार किया गया था। अंकिता इस रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के पद पर थी और मौत से कुछ दिन पहले ही उसे यह नौकरी मिली थी।
अभियुक्त के रिजॉर्ट पर बुलडोजर चलने को लेकर सोशल मीडिया पर धामी सरकार की खूब वाहवाही की गई कि उसने अभियुक्तों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस दिखाते हुए यह कार्रवाई की है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 24 सितंबर को ट्वीट कर कहा था कि अभियुक्त के रिजॉर्ट पर बुलडोजर चला दिया गया है। बुलडोजर की कार्रवाई का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खासा वायरल हुआ था।
परिजनों ने उठाया सवाल
लेकिन जब अंकिता के परिजनों ने यह सवाल उठाया कि रिजॉर्ट को गिराने से इस मामले के सभी सुबूत खत्म हो चुके हैं। अंकिता के पिता ने कहा कि क्या सुबूत मिटाने के लिए ही इस रिजॉर्ट को गिराया गया था, तब यह सवाल जिंदा हुआ कि आखिर इस रिजॉर्ट को गिराने के लिए बुलडोजर किसने भेजा। इस मामले में बीजेपी के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सवाल उठाए हैं।
पहले यह कहा गया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से इस संबंध में आदेश जारी किया गया। लेकिन यह बात गलत निकली।
इस बारे में पौड़ी गढ़वाल जिले के जिलाधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने ‘द हिंदू’ अखबार से कहा कि राज्य सरकार की कई एजेंसियां हैं जो बुलडोजर की कार्रवाई करती हैं और हम इस बात की जांच कर रहे हैं कि आखिर यह आदेश किसने दिया था। उन्होंने कहा कि यह आदेश पुलिस, राजस्व विभाग एसडीएम या फिर नगरीय विकास प्राधिकरण की ओर से दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि मीडिया के जरिए यह मामला उनके सामने आया और वह इसकी जांच करा रहे हैं।
‘मेरा कोई लेना-देना नहीं’
द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, स्थानीय बीजेपी विधायक रेनू बिष्ट ने कहा कि उन्हें कुछ ग्रामीणों ने बुलडोजर की कार्रवाई के बारे में रात को सूचना दी और मौके पर आने के लिए कहा। जब वह रात के 1:30 बजे मौके पर पहुंचीं तब तक बुलडोजर रिजॉर्ट के बड़े हिस्से को गिरा चुका था।
विधायक ने कहा कि उन्होंने बुलडोजर के ड्राइवर को रोका और उससे पूछा कि उसे ऐसा करने का आदेश किसने दिया है तो ड्राइवर ने बताया कि उसे जिला प्रशासन के एक अफसर का फोन आया था। विधायक ने कहा कि पौड़ी गढ़वाल जिला प्रशासन के कुछ अफसरों ने मीडिया के जरिए उन पर यह आरोप लगाया है कि बुलडोजर की यह कार्रवाई उनके इशारे पर की गई। उन्होंने कहा कि बुलडोजर की इस कार्रवाई में उनकी कोई भूमिका नहीं है और इससे उनका कोई लेना-देना नहीं है।
उत्तराखंड सरकार के एक बड़े अफसर ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि जेसीबी के ड्राइवर को यह फोन कॉल पौड़ी गढ़वाल जिले के किसी एसडीएम ने की थी।
अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर अखबार से कहा कि एसडीएम को जिला प्रशासन के एक सीनियर अफसर ने निर्देश दिए थे और इस अफसर को देहरादून से इस संबंध में फोन आया था। उन्होंने बताया कि निर्देशों का पालन करते हुए एसडीएम ने एक स्थानीय पीडब्ल्यूडी अफसर को बुलडोजर की कार्रवाई के लिए आधी रात को फोन किया। पीडब्ल्यूडी के अफसर ने बुलडोजर के ऑपरेटर को ढूंढा और उसका नंबर एसडीएम को भेजा।
इसके बाद एसडीएम ने बुलडोजर के ड्राइवर को रिजॉर्ट पर कार्रवाई करने का आदेश दिया। कोटद्वार के पुलिस अधीक्षक शेखर सुयाल ने कहा है कि पुलिस ने रिजॉर्ट ध्वस्त करने के बारे में आदेश नहीं दिया था।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि बुलडोजर चलाने की अनुमति किसने दी यह जांच का विषय है। पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने भी रिजॉर्ट पर बुलडोजर किसने चलाया, इसे लेकर सवाल उठाए हैं।
आखिर, इस बात का पता कैसे चलेगा कि देर रात को ही बुलडोजर चलाए जाने का आदेश किसने दिया। बताना होगा कि मामले के सामने आने के बाद उत्तराखंड के लोगों में काफी आक्रोश है और उन्होंने इस रिजॉर्ट में तोड़फोड़ की थी। मामले के तूल पकड़ने के बाद बीजेपी ने पुलकित आर्य के पिता डॉ. विनोद आर्य और भाई अंकित आर्य को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
डॉ. विनोद आर्य बीजेपी में ओबीसी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य थे और साथ ही यूपी के सह प्रभारी भी थे। अंकित आर्य को तत्काल प्रभाव से पिछड़ा वर्ग आयोग के उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था।
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