समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब आंबेडकर और राम मनोहर लोहिया को मानने वाले लोगों को एक मंच पर आने की बात कह कर एक नई राजनीतिक चाल चली है। पर सवाल यह उठता है कि क्या फिलहाल यह मुमकिन है? जो काम कांसीराम जैसे दिग्गज नहीं कर सके, क्या वह काम अखिलेश कर लेंगे?
ओबीसी-दलित को एकजुट कर पाएंगे अखिलेश यादव?
- उत्तर प्रदेश
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- 9 Nov, 2021

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने आंबेडकर और लोहिया के समर्थकों को एक मंच पर आने की बात क्यों कही? क्या राजनीतिक समीकरण है इसके पीछे?
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को ध्यान में रख कर ही यह कहा है, पर यह मामला सिर्फ चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं है, यह सोशल इंजीनियरिंग का वह पहलू है जिससे पूरे प्रदेश की राजनीति तो बदल ही सकती है, दूसरे राज्यों के लिए भी एक मिसाल बन सकती है। इसके साथ ही यह बीजेपी के हिन्दुत्व व हिन्दू राष्ट्रवाद की राजनीति को भी कुंद कर सकती है।