समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश में बाबा साहेब आंबेडकर और राम मनोहर लोहिया को मानने वाले लोगों को एक मंच पर आने की बात कह कर एक नई राजनीतिक चाल चली है। पर सवाल यह उठता है कि क्या फिलहाल यह मुमकिन है? जो काम कांसीराम जैसे दिग्गज नहीं कर सके, क्या वह काम अखिलेश कर लेंगे?