गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
पीछे
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कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही छोटे दलों की सौदेबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। अरसे तक बीजेपी की बगलगीर रहने के बाद भी टेढ़े तेवर दिखाती रही निषाद पार्टी ने आने वाले विधानसभा चुनावों में 70 सीटें मांगी हैं और राज्य सरकार में मंत्री पद भी।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ गुरुवार को दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, प्रदेश संगठन महामंत्री सुनील बंसल के साथ निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की मुलाक़ात में मंत्री पद पर तो सहमति बन भी गयी है।
बीजेपी को संजय निषाद को मंत्री बनाने के लिए किसी न किसी सदन का सदस्य भी बनाना पड़ेगा। बीजेपी संजय निषाद को विधान परिषद की मनोनीत कोटे की खाली सीट देने के लिए भी तैयार हो गयी है। यूपी में विधान परिषद में मनोनीत कोटे की चार सीटें जुलाई में खाली हुई हैं। विधानसभा चुनावों में सीटों के बंटवारे पर आगे बात होगी।
बैठक में यह लगभग तय हो गया है कि जल्द ही होने वाले यूपी के मंत्रिमंडल विस्तार में संजय निषाद को मंत्री बनाया जाएगा। फिलहाल उत्तर प्रदेश के दोनों सदनों में निषाद पार्टी का कोई भी सदस्य नहीं है। संजय निषाद के बेटे प्रवीण निषाद संत कबीरनगर से सांसद हैं।
दिल्ली में हुई बैठक के बाद संजय निषाद ने माना कि उन्हें मंत्री पद देने पर सहमति बन गयी है। यूपी विधानसभा चुनावों को लेकर उन्होंने कहा कि बीजेपी से 70 सीटों पर चर्चा चल रही है। उनका कहना है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर बुंदेलखंड तक की कई सीटों पर निषाद बिरादरी की बहुतायत है और यहां उनकी पार्टी चुनाव जीत सकती है। सीटों के बंटवारे को लेकर जल्द ही फिर से चर्चा होगी।
उन्होंने कहा कि निषादों के लिए आरक्षण लागू करवाने की मांग भी रखी गयी है। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने से पहले ही निषादों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग रखी गयी है। साथ ही निषाद पार्टी ने पिछली सरकार में उनके समुदाय के लोगों पर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने की मांग भी बीजेपी के सामने रखी है।
संजय निषाद के अलावा विधान परिषद की तीन अन्य सीटों के लिए नामों पर भी बैठक में चर्चा हुई है। इन नामों में प्रदेश बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी, हाल ही में कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद व किसी अति पिछड़ी जाति के नेता के नामों पर सहमति बनती दिख रही है। इन नामों में लोक गायिका मालिनी अवस्थी के नाम पर भी चर्चा होने की ख़बर है।
माना जा रहा है कि यूपी के कुछ नेता मालिनी अवस्थी को विधान परिषद में भेजना चाह रहे हैं। मालिनी अवस्थी का नाम तय होने की दशा में लक्ष्मीकांत वाजपेयी व जितिन प्रसाद में से किसी एक का नाम कट सकता है।
उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल के विस्तार पर अब बीजेपी आलाकमान ने करीब-करीब मन बना लिया है। इसमें शामिल होने वाले संभावित नामों की चर्चा भी हुई है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि ब्राह्मण समुदाय से जितिन प्रसाद, लक्ष्मीकांत वाजपेयी, अति पिछड़ा समुदाय से संजय निषाद व दलित बिरादरी से आने वाले वरिष्ठ नेता विद्यासागर सोनकर को मंत्री पद की शपथ दिलायी जा सकती है।
हालांकि मंत्रिमंडल विस्तार के लिए अभी कोई जल्दी नहीं दिखायी गयी है और इसका फैसला पूरी तरह से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर छोड़ दिया गया है। दिलचस्प बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले पूर्व नौकरशाह अरविंद शर्मा को मंत्री बनाने को लेकर एक बार फिर कोई रास्ता खुलता नहीं दिख रहा है। दिल्ली की बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार के लिए नामों की चर्चा में उन पर कोई बात नहीं हुई है।
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