कासगंज में अल्ताफ़ नाम के नौजवान की पुलिस हिरासत में मौत का मामला अभी ताज़ा ही है और एक और नई घटना सामने आई है, जो पुलिस के कामकाज पर सवाल खड़े करती है। यह घटना उत्तर प्रदेश के बरेली में हुई है। यहां कासिम नाम के 14 साल के बच्चे को पुलिसवालों ने पीटा है। कासिम दिव्यांग है और बरेली के बिथरी चैनपुर के उड़ला जागीर का रहने वाला है।
कासिम ने कहा है कि जब वो मछली बेच रहा था तो दो पुलिसवाले आए और उससे कहा कि तुम ग़ैर क़ानूनी काम रहे हो और हमें आधे पैसे चाहिए। कासिम के मना करने पर एक पुलिस वाले ने उसे लाठी से पीटना शुरू कर दिया। कासिम को पीटे जाने का वीडियो भी सामने आया है।
सवालों के घेरे में है पुलिस
अल्ताफ़ के अलावा आगरा में अरुण वाल्मीकि की मौत का मामला हो या फिर कानपुर में मनीष गुप्ता हत्याकांड का या सुल्तानपुर में राजेश कोरी की मौत का, ये तो वे ताज़ा मामले हैं, जिन्हें लेकर उत्तर प्रदेश की पुलिस सवालों के कठघरे में है। अल्ताफ़ के परिजन पुलिस से इंसाफ़ की गुहार लगा रहे हैं लेकिन पुलिस दो-ढाई फ़ीट के नल से ख़ुदकुशी करने की बात पर अटकी हुई है।
डंडे का जोर दिखा रही पुलिस
जिस तरह अल्ताफ़ के मामले में पुलिस के बयान को लेकर सैकड़ों सवाल उठे हैं, उसके पिता पर बयान को बदलने के लिए मजबूर करने की बात सामने आयी है, वह साफ करती है कि उत्तर प्रदेश में पुलिस डंडे के जोर पर अपनी बात मनवाना चाहती है और अगर आप मानने के लिए तैयार नहीं हैं तो अरुण वाल्मीकि से लेकर अल्ताफ़ और कई और उदाहरण आपके सामने हैं। ऐसे में कोई शख़्स पुलिस के दरवाज़े से इंसाफ़ मिलने की उम्मीद कैसे कर सकता है।
सोशल मीडिया पर भी कई लोग उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में हो रही मौतों को लेकर सवाल उठा रहे हैं। राजनीतिक दल भी योगी सरकार पर हमलावर हैं लेकिन क्या कहीं से भी ऐसा लगता है कि उत्तर प्रदेश की पुलिस अपने गिरेबां में झांकने के लिए तैयार है।
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