बुलंदशहर हिंसा के मुख्य अभियुक्त योगेश राज को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। योगेश को 2 जनवरी की रात 11.30 बजे खुर्जा टी-प्वाइंट से गिरफ़्तार किया गया था। गिरफ़्तारी के बाद एसआईटी ने उससे काफ़ी देर तक पूछताछ की। पूछताछ के बाद योगेश राज को भारी पुलिसबल के साथ बुलंदशहर जिला न्यायालय में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। मजिस्ट्रेट ने योगेश को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। नीचे देखें विडियो -
योगेश राज बजरंग दल का जिला संयोजक है और बुलंदशहर में हुई हिंसा के बाद से ही वह फ़रार चल रहा था। बुलंदशहर में बीते साल 3 दिसंबर को गोकशी की अफ़वाह के चलते हुए बवाल में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और एक स्थानीय युवक की मौत हो गई थी। योगेश राज ने फ़रार होने के दौरान अपना एक विडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर ख़ुद को बेग़ुनाह बताया था।
पुलिस के मुताबिक़, 2 जनवरी की रात थानाध्यक्ष बीबीनगर सुभाष सिंह को मुखबिर से सूचना मिली कि योगेश राज खुर्जा से बुलंदशहर की ओर आने वाला है। सूचना पर थानाध्यक्ष पुलिस फ़ोर्स के साथ बुलंदशहर-खुर्जा बाइपास पर स्थित ब्रहमानंद कॉलेज के पास पहुँचे और खुर्जा टी- प्वाइंट से रात 11.30 बजे योगेश को गिरफ़्तार कर लिया। पुलिस ने बताया कि योगेश राज से पूछताछ की जा रही है। योगेश राज के पिता का नाम सूरजभान सिंह है और वह स्याना के गाँव नयाबाँस माजरा का रहने वाला है।
बुलंदशहर के एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि योगेश राज से पूछताछ में जो भी जानकारियाँ मिलेंगी, उसे जाँच में शामिल किया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि योगेश राज पर हिंसा भड़काने का आरोप है या हत्याकांड में शामिल होने का, एसएसपी ने कहा कि योगेश राज पर आरोप तय होने में अभी समय लगेगा।
एसएसपी ने कहा कि इतने दिन तक योगेश कहाँ रहा, इस बारे में बताया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि मामले में बचे बाकी आरोपियों को भी जल्द गिरफ़्तार कर लिया जाएगा और जो भी आरोपी सरेंडर नहीं करेगा उसके ख़िलाफ़ कुर्की की कार्रवाई की जाएगी। सुनिए क्या कहा एसएसपी ने -
एसएसपी ने कहा कि योगेश राज से मोबाइल मिला है। पत्रकारों के यह पूछे जाने पर कि हिंदूवादी संगठनों ने कहा है कि उन्होंने योगेश राज को पुलिस को सौंपा है, उसकी गिरफ़्तारी नहीं हुई है। इस पर एसएसपी ने कहा कि पुलिस ने योगेश राज को गिरफ़्तार किया है। आरोपी को मीडिया के सामने लाए जाने पर एसएसपी ने कहा कि अगर आरोपी मीडिया के सामने नहीं आना चाहता तो उसे जबरदस्ती मीडिया के सामने नहीं लाया जा सकता। इस पर उन्होंने मानवाधिकारों का भी हवाला दिया।
बुलंदशहर हिंसा मामले में चाँदपुर पूठी गाँव निवासी सतीश कुमार और महाव के रहने वाले विनीत कुमार ने बुधवार को सीजेएम के समक्ष सरेंडर किया था।
इससे पहले पुलिस ने बताया था कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बेरहमी से हत्या की गई थी। पुलिस ने कहा था कि इंस्पेक्टर सिंह पर पत्थरों, रॉड और कुल्हाड़ी से हमला किया गया था। इसके बाद उन्हें लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारी गई थी। बुलंदशहर पुलिस के वरिष्ठ अधीक्षक प्रभाकर चौधरी ने कहा था कि योजना बनाकर इंस्पेक्टर की हत्या की गई थी। पुलिस ने अपनी एफ़आईआर में 27 लोगों का नाम लिया है।
बुलंदशहर हिंसा और इंस्पेक्टर सिंह की हत्या पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर बीजेपी के सांसदों और विधायकों तक के बयान लगातार न केवल विरोधाभासी रहे हैं, बल्कि हत्या के मामले पर प्रदेश सरकार से लेकर बीजेपी नेताओं का रवैया लगातार उदासीनता का रहा है।
बुलंदशहर में हुई हिंसक वारदात के बाद पुलिस ने सात लोगों के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज की थी और इनमें से दो नाबालिग हैं। उनके परिजनों का कहना है कि पुलिस जिस समय गोकशी किए जाने की बात कह रही है, नाबालिग वहाँ थे ही नहीं। वे एक धार्मिक सम्मेलन में भाग लेने गए हुए थे।
इससे पहले बुलंदशहर पुलिस ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या में शामिल पाँचवे आरोपी कलुआ उर्फ़ राजीव को गिरफ़्तार किया था। कलुआ पर इंस्पेक्टर सिंह पर कुल्हाड़ी से वार करने का आरोप है। 27 दिसंबर को पुलिस ने प्रशांत नट को हिरासत में लिया था। पुलिस का दावा है कि प्रशांत नट ने ही इंस्पेक्टर सिंह को गोली मारी थी।
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