लीजिए, अब इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या को लेकर एक और बयान आ गया है। इस बयान में यह थ्योरी दी गई है कि इंस्पेक्टर सिंह भीड़ में घिर कर इतने नर्वस हो गए थे कि अपने को बचाने की कोशिश में हड़बड़ी में उनसे गोली चल गई, जो उन्हीं को लग गई। यानी इस थ्योरी के मुताबिक़ सुबोध कुमार सिंह की हत्या किसी ने नहीं की थी, बल्कि वह अपनी ही गोली से मारे गए थे, जो उनसे हड़बड़ी में चल गई थी!
यह थ्योरी दी है बुलंदशहर की स्याना सीट से बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने। मतलब यह हुआ कि देवेंद्र सिंह लोधी अपनी ही सरकार की पुलिस की अब तक की जाँच को बिलकुल ग़लत ठहरा रहे हैं! पुलिस ने एक टैक्सी ड्राइवर प्रशांत नट की गिरफ़्तारी के बाद 28 दिसंबर को ही सुबोध कुमार सिंह की हत्या का विस्तार से ब्योरा देकर बताया था कि सुबोध सिंह की हत्या कैसे हुई।
पुलिस का कहना है कि घटना की सूचना पा कर इंस्पेक्टर सुबोध सिंह मौक़े पर पहुँचे। वह भीड़ को समझाने-बुझाने और शांत करने की कोशिश में लगे थे, लेकिन तभी भीड़ ने उन पर पत्थरों, रॉड और कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। उनके सिर पर भी वार किया गया। बुरी तरह घायल इंस्पेक्टर सिंह जान बचाने के लिए खेतों की तरफ़ भागे और भीड़ को शांत हो जाने की अपील भी करते रहे, लेकिन उग्र भीड़ उनकी तरफ़ बढ़ती रही, तो अपनी सुरक्षा के लिए सुबोध सिंह ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली चला दी, जो भीड़ में शामिल सुमित नामक युवक को लगी। इससे भीड़ और भी आगबबूला हो गई और उसने इंस्पेक्टर सिंह को घेर लिया। इसी भीड़ में शामिल प्रशांत नट ने इंस्पेक्टर सिंह की सर्विस रिवाल्वर छीन कर उनकी हत्या कर दी।
पुलिस के इसी बयान के बाद स्याना के बीजेपी विधायक देवेंद्र सिंह लोधी ने बयान दिया कि इंस्पेक्टर सिंह भीड़ में घिर कर नर्वस हो गए थे, उनसे हड़बड़ी में गोली चल गई, जो उन्हें ही लग गई! सवाल यह है कि आख़िर लोधी अपनी ही पुलिस की बात को क्यों झुठला रहे हैं। यह सच है कि इंस्पेक्टर सिंह को लगी गोली उन्हीं के सर्विस रिवाल्वर से चली थी, लेकिन अब आप ख़ुद समझ सकते हैं कि बीजेपी के देवेंद्र सिंह लोधी यह बयान देकर किन लोगों को बचाना चाहते हैं कि गोली सुबोध सिंह ने ख़ुद चलाई थी!
गो-हत्या के नाम पर उन्माद फैलाने और भीड़ को हिंसा के लिए भड़काने का आरोप बजरंग दल और हिन्दूवादी संगठनों पर है। बजरंग दल का स्थानीय संयोजक योगेश राज फ़रार चल रहा है, जिसे पुलिस अब तक नहीं पकड़ पाई है।
बुलंदशहर हिंसा और इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर बीजेपी के सांसदों और विधायकों तक के बयान लगातार न केवल विरोधाभासी रहे हैं, बल्कि हत्या के मामले पर प्रदेश सरकार से लेकर बीजेपी नेताओं का रवैया लगातार उदासीनता का रहा है। और इसीलिए उत्तर प्रदेश पुलिस की भूमिका को लेकर भी इतने दिनों तक सवाल उठते रहे थे कि अपने इतने कर्मठ अफ़सर के इस तरह मार दिए जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश पुलिस इतने दिनों तक उदासीन क्यों बैठी रही?
आपको याद होगा कि घटना के तुरन्त बाद योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि यह एक दुर्घटना थी। यही नहीं, सुबोध सिंह की हत्या के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ज़ोर इस पर था कि गाय कैसे कटी, पुलिस सब कुछ छोड़ कर इसका पता लगाए। सुबोध सिंह की हत्या की जाँच होती रहेगी! अपने एक बड़े अफ़सर की हत्या से एक मुख्यमंत्री का विचलित न होना क्या दर्शाता है?
उसके कुछ दिन बाद योगी जी का बयान आया कि यह एक साज़िश थी, जो उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई थी। सवाल यह है कि यह साज़िश किसने रची थी और क्यों? अब अगर आप इस मामले में बुलंदशहर से बीजेपी सांसद भोला सिंह का बयान देखें तो पता चल जाएगा कि 'साज़िश' की थ्योरी पर उनका इशारा किधर था। भोला सिंह ने कहा था कि बुलंदशहर में हिंसा वहाँ आयोजित हुए इज्तिमा के कारण हुई। उनका कहना था कि क़ानून व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में थी, पुलिस पूरी तरह मुस्तैद थी, लेकिन इज्तिमा को लेकर पुलिस को जानकारी नहीं दी गई और इसी वजह से हिंसा हुई।
भोला सिंह ने यह बयान किस मंशा से दिया था, यह इसी से साफ़ हो जाता है कि इज्तिमा का हिंसा से कोई लेना-देना नहीं था, इज्तिमा घटनास्थल से बहुत दूर चल रहा था और इज्तिमा की पूरी जानकारी स्थानीय प्रशासन को थी, जिसने वहाँ सुरक्षा समेत सारे ज़रूरी इंतज़ाम भी किए थे।
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