जिस बीजेपी ने अयोध्या मुद्दे पर कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद की स्थिति को संभाल लिया था, नागरिकता क़ानून पर क्यों संभाल नहीं पा रही है? ऐसा क्या हो गया कि अयोध्या जैसे मुद्दे पर भी उत्तर प्रदेश में स्थिति सामान्य बनी रही लेकिन नागरिकता क़ानून पर प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया? यहाँ तक कि कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। क्या बीजेपी इसके लिए तैयार नहीं थी?