कांग्रेस संगठन में बदलाव, चुनाव की माँग और कई अन्य परिवर्तनों पर 23 वरिष्ठ नेताओं को अपेक्षा के अनुरूप उत्तर प्रदेश में समर्थन नहीं मिला। कांग्रेस संगठन के लिहाज़ से उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा एआईसीसी व पीसीसी सदस्य हैं और इनमें से ज़्यादातर मौजूदा समय के पहले के हैं। कांग्रेस के कई कद्दावर नेता यूपी से ही हैं। इन सबके बाद भी जब बदलाव की बात उठी तो यूपी से महज एक बड़े नेता जितिन प्रसाद को छोड़ कोई सामने नहीं आया।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद तो संतुष्ट, असंतुष्ट, सक्रिय-निष्क्रिय सभी तरह के नेता व कार्यकर्ता बदलाव का मुद्दा उठाने वाले ग़ुलाम नबी आज़ाद के ख़िलाफ़ टूट पड़े। बतौर कांग्रेस महासचिव सबसे ज़्यादा बार यूपी के प्रभारी ग़ुलाम नबी रहे हैं और मौजूदा एआईसीसी व पीसीसी के सदस्य उनके ही नियुक्त किए गए हैं। बावजूद इसके ग़ुलाम नबी का तीखा विरोध कहीं से प्रयोजित नहीं बल्कि स्वत:स्फूर्त नज़र आता है। बदलाव की माँग वाले पत्र पर दस्तख़त करने वाले जितिन प्रसाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं का विरोध देख तलवार म्यान में रख चुके हैं और बचाव की मुद्रा में आ गए हैं।
आज़ाद पर बिफरे निर्मल खत्री
आमतौर पर शांत, शालीन व कभी विवाद में न पड़ने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व सांसद निर्मल खत्री ने ग़ुलाम नबी आज़ाद को आड़े हाथ लिया है। निर्मल खत्री ने एक लंबी फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर कहा है कि वो ख़ुद ग़ुलाम नबी से ज़्यादा सीनियर हैं और जब 2018 में संगठन चुनाव हुए तो यही व्यक्ति यूपी का प्रभारी था। उन्होंने कहा कि चुनाव के एक दिन पहले ग़ुलाम नबी यूपी से एआईसीसी व पीसीसी के सदस्यों की सूची जारी कर रहे थे। यह कैसा चुनाव हो रहा था। खत्री ने लिखा है कि 23 साल से कांग्रेस संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहने वाले ग़ुलाम नबी को कभी चुनाव की याद क्यों नहीं आयी। उन्होंने कहा कि जब जब ग़ुलाम नबी यूपी में प्रभारी रहे पार्टी रसातल की ओर ही गयी। उन्होंने कहा कि 1996 में बसपा से या 2017 में सपा से समझौता हो, सबके पीछे ग़ुलाम नबी ही रहे और उनके कारण ही कांग्रेस आज सात विधायकों पर पहुँच गयी है।
‘बच्चा किसे कह रहे ग़ुलाम नबी’
निर्मल खत्री ने लिखा कि देश की राजनीति में इतिहास जब लिखा जायेगा तब आपका (ग़ुलाम नबी आज़ाद) कहीं ज़िक्र भी नहीं होगा लेकिन उनका होगा। यह आप जितनी जल्दी समझ सकें वह अच्छा होगा क्योंकि वे लोग कांग्रेस के लिए कांग्रेसी हैं और आप अपने लिए कांग्रेसी।
जितिन प्रसाद बैकफुट पर
बदलाव की माँग वाले पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले यूपी के एकमात्र बड़े नेता जितिन प्रसाद के ख़िलाफ़ उनके ही प्रभाव क्षेत्र लखीमपुर में नारे लगे और प्रस्ताव पारित किया गया। इस पर दिल्ली में बैठे कपिल सिब्बल ने तो आपत्ति जतायी पर ख़ुद यूपी से कोई जितिन के समर्थन में नहीं बोला। पार्टी के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक ने उनसे सहानुभूति नहीं दिखायी। लोगों का रुख देखकर अब जितिन प्रसाद ने साफ़ किया है कि उनकी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व में आस्था है। वह पत्र केवल पार्टी को गतिशील करने के लिए लिखा गया था। उससे ज़्यादा उसका न कोई अर्थ था न ही उद्देश्य।
ग़ुलाम को आज़ाद करने की माँग
यूपी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता व विधानपरिषद सदस्य रहे नसीब पठान ने तो कांग्रेस नेतृत्व से ग़ुलाम को आज़ाद करने की माँग की है। उन्होंने ट्वीट कर आज़ाद पर हमला बोलते हुए उनपर सख़्त टिप्पणी की है। उनका कहना है क जब कार्यसमिति की बैठक में सब मसला हल हो गया और सोनिया गाँधी ने भी विवाद ख़त्म करने की बात कह दी तो ग़ुलाम नबी आज़ाद ने मीडिया में जाकर अनुशासन क्यों तोड़ा। उन्होंने कहा कि इस पर तो ग़ुलाम को आज़ाद कर देना चाहिए। नसीब पठान ने कहा कि कांग्रेस ने ग़ुलाम नबी को इतना कुछ दिया पर उन्होंने वफादारी नहीं निभायी।
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