यस बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की चार्जशीट ने और हड़कंप मचा दिया है। इस चार्जशीट में हुए खुलासों ने घोटालों पर पहले से ही सजग रहने के सरकारी दावों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
बुधवार शाम छह बजे के बाद से यस बैंक के ग्राहक बैंक में जमा अपने पैसे निकाल पाएंगे। 5 मार्च को सरकार ने यस बैंक से पैसे निकालने पर रोक लगाई थी। ग्राहकों के लिए ख़ुशख़बरी है कि दो हफ़्ते में ही उन्हें इस पाबंदी से छुटकारा मिल गया। लेकिन सवाल यह है कि अब बैंक के ग्राहकों को करना क्या चाहिए? बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी।
यस बैंक को वापस पटरी पर लाने की ज़िम्मेदारी स्टेट बैंक को सौंपी गई है। स्टेट बैंक दस रुपए के भाव पर बैंक में पैंतालीस परसेंट हिस्सेदारी भी ख़रीद रहा है। और अब उसने अपने सात साथी भी चुन लिए हैं। लेकिन इस चक्कर में कहीं छोटे शेयरहोल्डर के साथ अन्याय तो नहीं हो रहा? वरिष्ठ पत्रकार और सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक आलोक जोशी की टिप्पणी।
यस बैंक डूब गया। हालाँकि पैसे मिलने की पूरी उम्मीद है, लेकिन मिलने में देरी होगी। पर सवाल है कि ऐसी स्थिति से बचने के लिए क्या किया जाए? दूसरे बैंक में भी खाता रखने वाले लोगों को करना चाहिए? देखिए आशुतोष की बात में सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी की सलाह।
यस बैंक दिवालिया हो चुका है। बैंक की ऐसी हालत क्यों हुई? क्या ख़राब अर्थव्यवस्था इसकी वजह है? क्या बैंक का मिसमैनेजमेंट है? इतनी गड़बड़ी के बाद खाताधारकों के पास क्या रास्ते बचे हैं? देखिए आशुतोष की बात में सीएनबीसी आवाज़ के संपादक रहे और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी के साथ चर्चा।
यस बैंक के खाताधारकों की पाई-पाई सुरक्षित है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के इस एलान के बाद बहुत से लोगों की साँस में साँस आई। लेकिन इतना कह देने से बात ख़त्म नहीं हो जाती। बहुत-सी परेशानियों से जूझ रहे हैं लोग और अनेक सवालों के जवाब मिलने अभी बाक़ी हैं। और ब्योरा दे रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।
2017 से रिज़र्व बैंक लगातार यस बैंक पर कड़ी नज़र रख रहा था। यस बैंक ने बहुत भारी मुश्किल से गुज़र रही यानी क़र्ज़ के बोझ में दबी कंपनियों को क़र्ज़ दे रखे थे। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का यह दावा है।
यस बैंक बिकेगा यह तो तय हो गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका एलान कर दिया है और रिज़र्व बैंक ने यस बैंक पुनर्जीवन योजना का दस्तावेज़ भी जारी कर दिया है। स्टेट बैंक ने यस बैंक में हिस्सेदारी ख़रीदने की इच्छा भी जताई है। लेकिन क्या स्टेट बैंक ही यह सौदा करेगा या कोई और है असली ख़रीदार? सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक विश्लेषक आलोक जोशी की टिप्पणी।
यस बैंक के खाताधारकें में हड़कंप मचा हुआ है। बैंक को हुआ क्या है और आपको करना क्या चाहिए? बता रहे हैं सीएनबीसी आवाज़ के पूर्व संपादक और आर्थिक पत्रकार आलोक जोशी।