यस बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी की चार्जशीट ने और हड़कंप मचा दिया है। इस चार्जशीट में हुए खुलासों ने घोटालों पर पहले से ही सजग रहने के सरकारी दावों पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
यस बैंक घोटाले की चार्जशीट: सरकार सजग रहती तो दो साल पहले ही हो जाता ख़ुलासा
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- 1 Jun, 2020

ईडी की जाँच में यह भी सामने आया कि डीएचएफ़एल से 12 हज़ार करोड़ रुपये बेईमानी से निकाले गए। ये और ऐसे ही कई खुलासे ईडी ने अपनी चार्जशीट में किये हैं। पूरी चार्जशीट सरकारी एजेंसियों की लापरवाही और कॉरपोरेट रिश्वतखोरी के साथ साथ करोड़ों के वारे-न्यारे करने का खेल उजागर करती है।
यस बैंक घोटाले पर अगर सरकार और एजेंसियाँ सजग होतीं तो दो साल पहले ही इस मामले का खुलासा हो जाता। रिज़र्व बैंक को दो साल पहले इस घोटाले की भनक लग गई थी। रिज़र्व बैंक की वजह से यस बैंक को डीएचएफ़एल यानी दीवान हाउसिंग फ़ाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड समूह की कंपनी के 950 करोड़ के लोन प्रस्ताव को रद्द करना पड़ा था। यह खुलासा यस बैंक मामले में ईडी की चार्जशीट से हुआ है। यह चार्जशीट ईडी ने मुंबई कोर्ट में दाखिल किया है। ईडी को संदेह है कि यह लोन प्रस्ताव भी उसी प्लान का हिस्सा था जिसमें 1700 करोड़ रुपये के लोन प्रस्ताव को अंदरूनी क्रेडिट अप्रूवल की कमेटी की समीक्षा से बचाने की साज़िश रची गई थी। ग़ौरतलब है कि ईडी ने हाल ही में यस बैंक संस्थापक राणा कपूर, उसकी पत्नी और तीन बेटियों और उनसे जुड़े तीन फ़र्मों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल की है।