देश में लगातार दुष्कर्म और गैंगरेप के मामले आ रहे हैं। महिलाओं के प्रति हिंसा, यौन यातनाएं, अलग-अलग तरह की प्रताड़नाएँ आख़िर रुकने या कम होने के बजाय बढ़ क्यों रही हैं?
साल 2023 हिंसा के प्रति बढ़ती मोहब्बत के लिए याद किया जाएगा। वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग बता रहे हैं कि किस तरह हमारे सत्ता प्रतिष्ठान के हिंसा के अचूक फॉर्मूले को बॉलीवुड ने भुनाया है। क्या कहना चाहते हैं देश के वरिष्ठ पत्रकार, जानिएः
आप किस स्त्री रूपा देवी की पूजा अर्चना में उपवास किये खड़े रहते हैं? यदि देवी माता स्त्री जैसी स्त्री है तो उसका नौ दिन ही पूजा पाठ क्यों हो, ताजिन्दगी सम्मान क्यों नहीं?
रेप और गैंगरेप की पीड़ा कितनी अंतहीन है, सामाजिक कलंक गहरा है, वह यूपी के शाहजहाँपुर के एक मामले से पता चलता है। 14 साल की उम्र में किशोरी से गैंगरेप हुआ। 27 साल बाद अब महिला ने केस दर्ज कराया है।
राजस्थान मानवाधिकार आयोग का यह कौन- सा रूप है। उन्हें स्त्रियों के हितों की इतनी चिंता होती तो क्या वे लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रही किसी महिला को उपस्त्री यानी रखैल का दर्जा देते?
क्या लिव-इन में रहना महिला के मानवाधिकारों का उल्लंघन है और उसके लिए ‘रखैल’ जैसी स्थिति है? कम से कम राजस्थान मानवाधिकार आयोग का एक आदेश तो ऐसा ही मानता है।