नोएडा के ट्विन टावर को विध्वंस करना जितना चुनौती भरा काम था अब उसके भारी-भरकम मलबे को देखकर भी कुछ वैसी ही चिंताएँ उठ रही हैं। जानिए कैसे होगा इन चिंताओं का समाधान।
नोएडा में करोड़ों रुपये की लागत से बने ट्विन टावर को ढहाने के बाद एक सवाल जरूर खड़ा होता है कि क्या इन इमारतों को गिराना ही एक विकल्प रह गया था? इन्हें किसी काम में नहीं लाया जा सकता था?
नोएडा में सुपरटेक के दोनों टावरों को रविवार को गिराए जाने के बाद दिल्ली और आसपास की एयर क्वालिटी खराब होने की आशंका थी लेकिन विशेषज्ञों ने कहा है कि दिल्ली की एयर क्वॉलिटी खराब नहीं हुई। जिस समय टावरों को गिराया गया, उस समय हवा का रुख ग्रेटर नोएडा और यूपी की तरफ था।
क्या आपको पता है कि करोड़ों रुपये के ख़र्च से बने इन गगनचुंबी इमारतों को क्यों ध्वस्त किया गया? इन इमारतों का इस्तेमाल किसी भी रूप में किया जा सकता था क्या?
नोएडा में सुपरटेक के 32 मंजिलों तक बने दो गगनचुंबी टावरों को ढहाने का आदेश तो हो गया, लेकिन क्या आपको पता है कि इसे ढहाया कैसे जाएगा? जानिए क्या है तैयारी।
सुपरटेक के दोनों टावरों का निर्माण 2012 में शुरू हुआ था और 2022 में इसके पूरा होने की संभावना थी। लेकिन 2022 में यह ध्वस्त कर दिया जाएगा। जानिए, भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में 80 मंजिलों के इन टावरों को कैसे ध्वस्त किया जाएगा।