सरकार ने रिजर्व बैंक से पैसे तो ले लिए लेकिन अब वह उसके राजनीतिक नुक़सान से बचने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है। यदि ऐसा नहीं है तो एफ़डीआई में छूट, 75 मेडिकल कॉलेज खोलने जैसी घोषणाएँ क्यों?
अभी तक सरकार ने फ़ाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का राग अलापना छोड़ा नहीं है लेकिन जिस रफ़्तार से आरबीआई से पैसे लेने सहित आर्थिक फ़ैसले हो रहे हैं उनसे साफ़ लग रहा है कि सरकार मंदी के डर से परेशान है।
रिज़र्व बैंक के सरप्लस रिजर्व से पैसे निकाल कर केंद्र सरकार को देने के मुद्दे पर बैंक और सरकार के बीच रस्साकसी लंबे समय से चल रही थी। अंत में रिज़र्व बैंक ने केंद्र सरकार को पैसे दे दिए।