राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का सरकारी भाषण इस रूप में दर्ज किया जाएगा कि आदिवासी महिला राष्ट्रपति ने दलितों, आदिवासियों पर हो रहे शोषण का उल्लेख मौका मिलने पर अपने अभिभाषण में नहीं किया। एक ऐसी राष्ट्रपति के रूप में उन्हें याद रखा जाएगा कि उन्होंने भारतीय मुसलमानों पर हो रहे हमलों, लिंचिंग, बुलडोजर न्याय पर रत्ती भर भी चिन्ता नहीं जताई। सरकार का भाषण जरूर पढ़िए लेकिन उनके अपने सरोकार क्या नहीं हैं। क्या वो अपने सरोकारों को जिक्र इस भाषण में करने की हिम्मत नहीं जुटा पाईं। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का विचारोत्तेजक लेखः