क्या पूजा स्थल अधिनियम 1991 की मूल भावना को बदलना न्यायिक अपराध था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस की बेंच ने एक निर्देश के जरिये ठीक करने की कोशिश की है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला आना बाकी है। लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस अधिनियम को लेकर अपने फैसले में जो टिप्पणी की थी, उससे अनर्थ हो गया और मस्जिदों के नीचे मंदिर तलाशे जाने लगे। स्तंभकार और प्रसिद्ध चिन्तक अपूर्वानंद ने इसी पर टिप्पणी की है, जिसे पढ़कर आप इस मुद्दे को बेहतर समझ सकते हैंः