न्यूज़ीलैंड में पिछले हफ़्ते दो मसजिदों पर हमले में क़रीब 50 लोगों की मौत हो गयी। हमले को लेकर न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा एर्डर्न और भारत में पुलवामा में हमले के बाद भारत के प्रधानमंत्री की प्रतिक्रियाओं को पढ़िए।
जैसे यहूदी विरोध आपके भीतर संस्कार की तरह सोया रहता है, वैसे ही मुसलमान विरोध भी। इसे इसलामोफ़ोबिया कहा गया है। कुछ विद्वानों का कहना है कि लोगों के भीतर मुसलमानों को लेकर तरह-तरह के पूर्वग्रह हैं।
न्यूज़ीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मसजिदों पर हमलों के बाद कुछ लोगों ने मसजिदों के बाहर फूल रखे, मुसलमानों के प्रति एकजुटता दिखाई तो कुछ दूसरे लोगों ने हमले पर जश्न भी मनाया।
श्वेत-नस्लवादी ब्रेन्टन टैरंट ने आख़िर क्यों 49 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया, जिन्हें वह जानता तक नहीं था? उसके दिमा में में उस वक़्त क्या चल रहा था?