इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च यानी आईसीएमआर ने कोरोना मरीज़ों के इलाज में लगे स्वास्थ्य कर्मियों की तरह ही गार्ड और सब्ज़ी बेचने जैसे काम में लगे लोगों को फ़्रंटलाइन वर्कर के तौर पर पहचान की है।
आख़िर किस सुविचारित साज़िश या रणनीति के तहत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भ्रामक दावा देश के सामने पेश किया है कि भारत में कोरोना संक्रमण के फैलने की दर दुनिया के तमाम विकसित देशों से बेहतर और संतोषजनक है।
आईसीएमआर ने कहा है कि वायरस से संदिग्ध रूप से संक्रमित 80 फ़ीसदी लोग सर्दी-बुखार के बाद ठीक हो जाएँगे। क़रीब 5 फ़ीसदी बीमार लोगों को हॉस्पिटल में भर्ती कराने की ज़रूरत पड़ सकती है।