जलवायु परिवर्तन को जानना और महसूस करना हमारी जिन्दगी का अहम हिस्सा बन गया है। लेकिन सरकारों को यह महसूस नहीं होता। वे 2047 तक विकसित भारत की रूपरेखा तैयार कर सकते हैं लेकिन वे आने वाली पीढ़ी के सांस लेने का इंतजाम नहीं कर रहे हैं। स्तंभकार वंदिता मिश्रा ने पर्यावरण को अति गंभीरता से लेने की बात इस लेख में कही है। पढ़िएः