आजम ख़ान और उनके परिवार की मुश्किलें आज फिर से तब और बढ़ गईं जब एक मामले में यूपी की अदालत ने आजम ख़ान, उनकी पत्नी और उनके बेटे को सजा सुनाई। जानिए क्या है मामला।
चुनाव आयोग का हर सीट पर अलग-अलग रवैया क्यों रहा है? ऐसा क्यों है कि लक्षद्वीप, रामपुर और स्वार में चुनाव आयोग को चुनाव कराने की जल्दी है, जबकि खतौली और वायनाड सीट पर उसे उपचुनाव की जल्दी नहीं होती है?
जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रावधान दो साल या उससे ज्यादा की सजा पाया कोई व्यक्ति किसी भी सदन का सदस्य नहीं रह सकता। इसी प्रावधान के तहत ही अबदुल्ला आजम को अपनी विधानसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी है।
सुनवाई के बाद बाकी सभी लोगों को दोषमुक्त करार देकर छोड़ दिया गया है जबकि आजम खान और बेटे को दो साल की सजा सुनाई गई है। अब्दुल्ला, इससे पहले 2017 के विधानसभा में भी अपनी विधायकी गंवा चुके हैं।