इस ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम इंडिया को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता इसका अंदाज़ा पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली को जुलाई 2020 के पहले हफ्ते में ही पता चल गया था जब उन्होंने कहा था कि यह बेहद मुश्किल सीरीज़ होगी और जो 2018 में हुआ उसे दोहराना आसान नहीं होगा। हो सकता है कि गांगुली कोच रवि शास्त्री और कप्तान विराट कोहली पर दबाव बनाने की भी कोशिश कर रहे हों क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में 70 साल में पहली बार ऐतिहासिक सीरीज़ को वह और कई जानकार महज़ तुक्का इसलिए मान रहे थे कि क्योंकि उस सीरीज़ में ना तो डेविड वार्नर थे और ना ही स्टीवन स्मिथ।
ऑस्ट्रेलिया दौरा : ड्रॉ के बाद ब्रिसबेन में इतिहास बनेगा?
- खेल
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- 12 Jan, 2021

इसे महज़ इत्तिफ़ाक़ ही कहा जा सकता है कि यह ड्रॉ राहुल द्रविड़ के जन्मदिन पर आया जिसने भारतीय क्रिकेट को विदेशी ज़मीं पर लड़ना सिखाया। यह बताया कि अगर जीत नहीं सकते हो तो हारो कभी मत। पुजारा और रहाणे तो उसी द्रविड़ को अपना सबसे बड़ा हीरो मानते हैं जबकि गिल की प्रतिभा को द्रविड़ ने राष्ट्रीय स्तर पर सबसे पहली बार पहचाना था।
लेकिन, अब 3 मैचों के बाद और वह भी नियमित कप्तान कोहली के बग़ैर और अपने 4 पहले पसंदीदा (ईशांत शर्मा, मोहम्मद शमी, उमेश यादव और भुवनेश्वर) गेंदबाज़ों की कमी के बावजूद अगर भारत सीरीज़ जीतने की उम्मीदों को ज़िंदा रखने में अब भी कामयाब है तो इसकी मिसाल भारतीय क्रिकेट में आपको कहीं नहीं मिलेगी। कम से कम ऑस्ट्रेलिया या किसी मुश्किल विदेशी दौरे पर तो क़तई नहीं। यह ठीक है कि एडिलेड की बेहद शर्मनाक नाकामी के बाद मेलबर्न में भारत ने ज़बरदस्त पलटवार कर सीरीज़ में 1-1 की बराबरी कर ली लेकिन जो कुछ और जिस अंदाज़ में सिडनी में हुआ वह अभूतपूर्व नज़ारा था।