Patriarchy (पितृसत्ता) ज़ेरे-बहस है। साथ ही ब्राह्मणवाद। ट्विटर के सीईओ द्वारा कुछ ऐक्टिविस्ट महिलाओं के साथ एक पोस्टर लेकर खड़े हो जाने पर हंगामा खड़ा हो गया है।
भद्रलोक, ट्विटराती, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, टीवी चैनल और प्रिंट मीडिया सब खलबला गए। अब जस्टिस काटजू भी मैदान में आ गए हैं।
दरअसल सोशल मीडिया पर सूचना विस्फोट के इस दौर में ब्राह्मणवादी पितृसत्तावाद या अन्य कोई भी दमनकारी शोषक षड्यंत्रकारी वाद निर्मम स्क्रूटिनी का बायस है। यथास्थितिवाद की दुर्गति एक तयशुदा नतीजा है पर लोग इसे समझ कर भी नहीं समझते!
ब्राह्मणवाद का नाश तो होगा चाहे कितना रोना रो लो
- धर्म
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- 24 Nov, 2018

ट्विटर के सीईओ ने एक 'ब्राह्मणवाद विरोधी पोस्टर' क्या अपने हाथ में ले लिया, भद्रजन समुदाय बौखला गया। बौखलाने वालों में मार्कंडेय काटजू जैसे लोग भी हैं जो कहते हैं, हम तो जातिवाद-विरोधी है, केवल ब्राह्मण होने के कारण हम पर हमला क्यों। ये वे लोग हैं जो जीवन भर ब्राह्मण होने का लाभ लेते रहते हैं मगर ब्राह्मणवादी व्यवस्था पर हमला हो तो व्यथित हो जाते हैं।