Patriarchy (पितृसत्ता) ज़ेरे-बहस है। साथ ही ब्राह्मणवाद। ट्विटर के सीईओ द्वारा कुछ ऐक्टिविस्ट महिलाओं के साथ एक पोस्टर लेकर खड़े हो जाने पर हंगामा खड़ा हो गया है।

भद्रलोक, ट्विटराती, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, टीवी चैनल और प्रिंट मीडिया सब खलबला गए। अब जस्टिस काटजू भी मैदान में आ गए हैं।
दरअसल सोशल मीडिया पर सूचना विस्फोट के इस दौर में ब्राह्मणवादी पितृसत्तावाद या अन्य कोई भी दमनकारी शोषक षड्यंत्रकारी वाद निर्मम स्क्रूटिनी का बायस है। यथास्थितिवाद की दुर्गति एक तयशुदा नतीजा है पर लोग इसे समझ कर भी नहीं समझते!