बीजेपी के बड़े नेता रहे और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी में शामिल हो गए हैं। यशवंत सिन्हा लंबे वक़्त से पार्टी में किनारे लगे हुए थे। हालांकि उनके बेटे जयंत सिन्हा बीजेपी में ही हैं और झारखंड के हजारीबाग सीट से सांसद हैं। जयंत मोदी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
यशवंत सिन्हा मोदी सरकार के खासे आलोचक रहे हैं।
बंगाल के चुनावी समर में बीजेपी से दो-दो हाथ कर रहीं ममता बनर्जी को यशवंत सिन्हा के आने से कुछ मजबूती मिल सकती है। यशवंत के पास राजनीतिक अनुभव तो है ही, वे नौकरशाह भी रहे हैं। बंगाल झारखंड से लगता प्रदेश है, ऐसे में वे थोड़ा बहुत राजनीतिक फायदा भी टीएमसी को दिला सकते हैं।
यशवंत सिन्हा कभी बीजेपी के बड़े नेता हुआ करते थे, लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उन्हें तवज्जो नहीं दी गई। इस कारण वह लगातार हाशिये पर आते चले गए लेकिन लगता है कि टीएमसी में आकर वह नई राजनीतिक पारी खेलना चाहते हैं।
घिरी हुई हैं ममता
इस चुनाव में ममता तीन तरफ़ से घिरी हुई दिखाई दे रही हैं। एक तरफ़ उनके पुराने विरोधी वाम मोर्चा और कांग्रेस का गठजोड़ है तो दूसरी तरफ़ बीजेपी खड़ी हो गयी है। तीसरी तरफ़ असदउद्दीन ओवैसी और ताज़ा-ताज़ा बनी छोटी पार्टियों के नेता हैं जो उनके पारंपरिक आधार को तोड़ने की कोशिश करेंगे।
राजनीतिक तौर पर ममता के लिए यह चुनाव पिछले दो चुनावों की तरह आसान नहीं लग रहा है। 2011 का चुनाव वो सिंगुर और नंदीग्राम के किसान संघर्ष के बूते पर जीत गयी थीं।
2016 में सीपीएम और वामपंथियों के साथ-साथ कांग्रेस भी पस्त पड़ी थी। बीजेपी तब बहुत कमज़ोर थी। लेकिन अब बीजेपी एक बड़ी ताक़त बन चुकी है और वाम दल तथा कांग्रेस पहले से ज़्यादा संभले हुए दिखाई दे रहे हैं।
बंगाल में 8 चरणों में होगा मतदान
पश्चिम बंगाल में 8 चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में 30 सीटों पर 27 मार्च को, दूसरे चरण में 30 सीटों पर 1 अप्रैल को, तीसरे चरण में 31 सीटों पर 6 अप्रैल को, चौथे चरण में 44 सीटों पर 10 अप्रैल को, पांचवें चरण में 45 सीटों पर 17 अप्रैल को, छठे चरण में 43 सीटों पर 22 अप्रैल को, सातवें चरण में 36 सीटों पर 26 अप्रैल को और आठवें चरण में 35 सीटों पर 29 अप्रैल को मतदान होगा।
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