तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव बुधवार को बिहार की राजधानी पटना पहुँचे। हालाँकि, तेलंगाना सरकार की ओर से गलवान शहीदों के परिजनों को 10-10 लाख और मजदूरों के परिजनों को पांच-पांच लाख का चेक नीतीश कुमार और के चन्द्रशेखर राव ने संयुक्त रूप से दिया। लेकिन समझा जाता है कि उनकी यात्रा का मक़सद बीजेपी के ख़िलाफ़ विपक्षी एकता को मज़बूत करना था। यह बात उनके बयानों में भी झलकी। नीतीश कुमार के साथ मंच साझा करते हुए केसीआर ने बीजेपी पर निशाना साधा।
केसीआर ने बीजेपी के नारे 'कांग्रेस-मुक्त भारत' की तर्ज पर ही एक नारा गढ़ा। कई वर्षों से गैर-कांग्रेसी गैर-बीजेपी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे केसीआर ने कहा, 'अब हमें भाजपा मुक्त भारत की ज़रूरत है।'
के चंद्रशेखर राव ने नीतीश कुमार से मुलाक़ात के बाद कहा कि नीतीश कुमार से 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष को एकजुट करने के मुद्दे पर सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष की जीत और भाजपा को देश से विदा करने के लिए विपक्ष को एकजुट होकर चुनाव लड़ना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एक साथ लाने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।
राव ने कहा कि देश के किसी भी क्षेत्र का विकास बीजेपी सरकार में नहीं हुआ है। डॉलर के मुकाबले में रुपया लगातार गिरा है। देश की आर्थिक स्थिति खराब होती जा रही है। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार से देश का हर आदमी परेशान है। लोगों के ऊपर सरकार अलग-अलग टैक्स के नाम पर अत्याचार कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास के नाम पर सरकार सिर्फ़ छलावा कर रही है।
के चंद्रशेखर राव लगातार तीसरे मोर्चे की बात करते रहे हैं। हालाँकि, बिहार के मुख्यमंत्री ने साफ़ किया है कि उनके दिमाग में बड़ी तस्वीर है।
उन्होंने कहा, 'तीसरा मोर्चा क्यों, हम मुख्य मोर्चे पर काम कर रहे हैं।' राव ने कहा,
“
सभी विपक्षी दलों को एक साथ आना चाहिए और भाजपा मुक्त भारत का नारा लगाना चाहिए... हम देश के सभी विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास करेंगे।
के चंद्रशेखर राव, तेलंगानी सीएम
उन्होंने कहा, 'आप परिणाम देखेंगे कि हम समान विचारधारा वाले दलों को साथ लाएंगे और सभी विवादास्पद मुद्दों को खत्म कर देंगे।"
बता दें कि नीतीश कुमार के एनडीए और भाजपा को छोड़ने के कदम ने विपक्षी खेमे में नयी ऊर्जा ला दी है। कई लोगों को उम्मीद है कि आठ बार के मुख्यमंत्री 2024 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा हो सकते हैं।
भाजपा ने नीतीश और केसीआर के मिलन को खारिज कर दिया है। सुशील मोदी ने कहा कि यह "दो सपने देखने वालों की बैठक है, जिनका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कोई औकात नहीं है।' उन्होंने इस बैठक को विपक्षी एकता का ताजा कॉमेडी शो करार दिया।
बता दें कि नीतीश कुमार का यह रोल बिहार से निकलकर उत्तर प्रदेश के सीमाई इलाक़ों और झारखंड में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जदयू के नेता कह रहे हैं कि केसीआर का पटना में नीतीश कुमार से मिलने का मतलब यह है कि नीतीश को राष्ट्रीय तौर पर एक विकल्प रूप में देखा जा रहा है।
हालाँकि खुद नीतीश कुमार कह चुके हैं कि वे प्रधानमंत्री की रेस में नहीं हैं। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी भी कहते हैं कि नीतीश कुमार का पूरा फोकस विपक्ष की एकता पर है। उनका कहना है कि नीतीश कुमार की कोशिश विपक्ष को एक मंच पर लाना और बीजेपी को 2024 के चुनाव में तगड़ा झटका देना है।
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