दक्षिण भारत में भाजपा को बड़ा झटका लगने वाला है। तमिलनाडु में भाजपा और एआईएडीएमके गठबंधन के बीच दरार आ गई है और यह कभी भी टूट सकता है। इसकी वजह है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई की विवादास्पद टिप्पणियां। अन्नाद्रमुक (AIADMK) ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को चेतावनी दी है कि "उस पर लगाम लगाओ, वरना ...।"
अन्नामलाई के निशाने पर DMK और AIADMK हर वक्त रहते हैं। लेकिन उनकी पूर्व सीएम और अन्नाद्रमुक की संस्थापक जयललिता पर टिप्पणी अन्नाद्रमुक को नाराज कर गई।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया है कि एक अंग्रेजी दैनिक के साथ इंटरव्यू में अन्नामलाई ने जयललिता के करप्शन और आय से अधिक संपत्ति मामले में दोषी ठहराने पर टिप्पणियां की थीं।
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हालांकि हकीकत ये है कि जयललिता की सहयोगी वीके शशिकला और कुछ अन्य लोगों को अंततः सुप्रीम कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषी ठहराया था। उस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता आरोपी जरूर थीं लेकिन अंतिम फैसले से पहले ही जयललिता का निधन हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया था, दो जयललिता के पक्ष में था। हाईकोर्ट ने जयललिता को तकनीकी रूप से दोषी नहीं ठहराया था।
एनडीटीवी के मुताबिक बहरहाल, जयललिता को करप्शन का जिम्मेदार बताए जाने पर अन्नाद्रमुक नाराज है। उसने कहा है कि जब तक भाजपा अन्नामलाई के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है, अन्नाद्रमुक इस "गठबंधन पर फिर से विचार करेगी।"
पार्टी के वरिष्ठ नेता डी जयकुमार ने कहा, "अन्नामलाई इस पार्टी के राज्य अध्यक्ष बनने के योग्य नहीं हैं। उन्हें अपनी बातों पर ध्यान देना चाहिए। हमें संदेह है कि वह गठबंधन जारी रखना चाहते हैं। अन्नामलाई नहीं चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी फिर से जीतें।"
राज्य भाजपा प्रमुख की हरकतें अक्सर अन्नाद्रमुक खेमे में संदेह पैदा करती हैं कि क्या पूर्व आईपीएस अधिकारी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर ऐसा बोलते रहते हैं।
अभी मार्च में, उन्होंने 2024 के चुनाव के लिए AIADMK के साथ गठबंधन के खिलाफ बयान दिया था। हालांकि अन्नाद्रमुक के जिन वरिष्ठ नेताओं ने जयललिता के निधन के बाद भाजपा के साथ गठबंधन बनाया था, वे चुप रहते हैं। जयललिता ने दोस्ताना संबंधों के बावजूद लंबे समय तक भाजपा के साथ गठबंधन नहीं किया था, यह देखते हुए कि यह उत्तर भारतीय पार्टी (भाजपा) द्रविड़ राजनीति में फिट नहीं बैठती है।
एनडीटीवी के मुताबिक भाजपा, जिसकी राज्य में मामूली मौजूदगी है, अन्नाद्रमुक में पन्नीरसेल्वम और पलानीसामी के बीच चल रहे झगड़े को भुनाने के लिए खुद को प्रमुख विपक्ष के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है। हालांकि इन्हीं दोनों नेताओं ने भाजपा के साथ गठबंधन को हरी झंडी दिखाई थी।
AIADMK को लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव और स्थानीय निकाय चुनाव समेत बीजेपी गठबंधन के साथ लड़े गए चुनावों में लगातार चार हार का सामना करना पड़ा है।
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दोनों पार्टियों ने हाल ही में हुए इरोड ईस्ट उपचुनाव से पहले एकसाथ प्रचार भी नहीं किया, जिसमें AIADMK हार गई थी।
सूत्रों का कहना है कि रविवार को एक आंतरिक बैठक में, भाजपा के मुख्य रणनीतिकार अमित शाह ने अपनी पार्टी को राज्य में 25 एमपी सीटों का लक्ष्य रखा था, जिससे अन्नाद्रमुक खेमे में संदेह पैदा हो गया कि राष्ट्रीय पार्टी राज्य की 39 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ने का इरादा रखती है। इस स्थिति में अन्नाद्रमुक के लिए कितनी सीटें बचेंगी।
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