लोकसभा सदस्य दानिश अली, जिन्हें हाल ही में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने निलंबित कर दिया था, कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भाग लेने के लिए रविवार को मणिपुर पहुंचे। सोशल मीडिया पोस्ट पर अली ने कहा कि अगर वह "एकता और न्याय के लिए सबसे बड़े अभियान" में शामिल नहीं हुए तो वह एक राजनेता के रूप में अपने कर्तव्य में नाकाम होंगे।
दानिश अली ने कहा- “यह मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण क्षण है। बहुत आत्ममंथन के बाद मैं यहां पहुंचा हूं। मेरे पास दो विकल्प थे - या तो यथास्थिति को स्वीकार करता और दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और अन्य हाशिये पर पड़े और गरीब वर्गों के शोषण को नजरअंदाज करता, या फिर भय, घृणा, शोषण और देश में फूट डालने वाले इस माहौल के खिलाफ चौतरफा अभियान शुरू करता।''
सांसद दानिश ने कहा- “मेरी अंतरात्मा ने मुझे दूसरा विकल्प अपनाने के लिए प्रेरित किया। यह निर्णय लेना मेरे लिए स्वाभाविक था क्योंकि मैं खुद संसद में इसी तरह के हमले का शिकार हुआ था, जहां सत्ताधारी दल के एक सदस्य ने मेरे और मेरे धर्म के खिलाफ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था।'' बता दें कि संसद के अंदर भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने दानिश अली और उनके धर्म के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। भाजपा की ओर से खेद जताया गया लेकिन पार्टी ने चंद दिनों बाद बिधूड़ी को टोंक (राजस्थान) विधानसभा की जिम्मेदारी सौंप दी। जहां कांग्रेस के सचिन पायलट ने भाजपा को धूल चटा दी थी।
यात्रा में शामिल होने के अपने फैसले के बारे में बताते हुए उन्होंने आगे लिखा, "मुझे एहसास हुआ कि मुझ पर हमला देश में डर और नफरत का माहौल बनाने की एक बड़ी योजना का हिस्सा था।" बता दें कि दानिश अली के खिलाफ लोकसभा में जब रमेश बिधूड़ी ने घटिया और आपत्तिजनक टिप्पणी की थी और दानिश अली ने बहुत संवदेनशील बयान दिया था। उसी दिन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी बसपा सांसद दानिश अली के घर पहुंचे और उनका हौसला बढ़ाया। दानिश अली उसके बाद राहुल के बड़े प्रशंसक बन चुके हैं।
यूपी के लिए महत्वपूर्ण
दानिश अली का राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होना यूपी की राजनीति के नजरिए से महत्वपूर्ण हैं। भारत जोड़ो न्याय यात्रा यूपी में 11 दिनों तक रहने वाली है। पूरी यात्रा में सबसे ज्यादा समय और कार्यक्रम यूपी को दिया गया है। यह यात्रा पूर्वी यूपी और पश्चिमी यूपी के कुछ जिलों से निकलेगी। यूपी के इन 20 जिलों में मुस्लिम आबादी की तादाद बहुत ज्यादा है। ऐसे में दानिश अली जहां पूरी यात्रा में मुस्लिम चेहरा होंगे, वहीं अखिलेश से नाराज चल रहे मुसलमानों को आकर्षित करने में दानिश महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अमरोहा से बसपा सांसद दानिश अली 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी की प्रचंड लहर के बावजूद जीते थे। 48 वर्षीय दानिश अली हापुड़ के रहने वाले हैं।सीएए विरोधी शाहीनबाग आंदोलन के दौरान हालांकि बसपा और मायावती ने खुलकर उन संगठनों का विरोध नहीं किया था, जिन्होंने आंदोलन छेड़ा था। लेकिन दानिश अली निजी तौर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया से लेकर जेएनयू और एएमयू के छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए थे। उन्होंने शाहीनबाग और जंतर मंतर पर कई प्रदर्शनों में शामिल होते देखा गया।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बसपा ने पिछले महीने दानिश अली को कांग्रेस नेताओं के साथ मेलजोल बढ़ाने की खबरों के बीच निलंबित कर दिया था। दानिश अली ने कांग्रेस में अपने प्रस्तावित प्रवेश पर सस्पेंस बरकरार रखा है, हालांकि उन्होंने कहा कि निलंबन के बावजूद वह भाजपा से लड़ना जारी रखेंगे।
कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रमुख अजय राय ने कार्रवाई को "अनुचित" बताया था और आश्वासन दिया था कि उनकी पार्टी "दानिश अली और उनके लिए खड़े सभी को मजबूत करने के लिए सब कुछ करेगी।"
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