विदेश मामलों के जानकार और कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने जी20 को लेकर खरी-खरी बातें कही हैं। विदेश मामलों की संसदीय समिति के पूर्व अध्यक्ष और संयुक्त राष्ट्र के पूर्व अवर महासचिव रहे थरूर ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ इंटरव्यू में जी20 की सफलता के लिए भारत की कूटनीति की तारीफ़ की।
थरूर ने कहा, 'जी20 का परिणाम निस्संदेह भारत के लिए एक कूटनीतिक जीत है क्योंकि जब तक नेता दिल्ली नहीं पहुंचे थे, तब तक इस बात पर काफी संदेह था कि क्या कोई साझा बयान भी होगा। जो लोग यूक्रेन में रूसी युद्ध की निंदा करना चाहते थे और जो उस संघर्ष के किसी भी जिक्र से बचना चाहते थे, उनके बीच मतभेदों को पाटना असंभव लग रहा था, लेकिन सरकार ने एक बहुत ही कुशल कूटनीतिक पैंतरेबाज़ी के साथ एक सफल फार्मूला निकाला है। यह पिछले नौ महीने में मृगतृष्णा लग रहा था। यह भारत के लिए बहुत बड़ा श्रेय है।'
लेकिन इस तारीफ़ के साथ ही उन्होंने सरकार के कई फ़ैसलों की आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि कुछ चीजों ने उन्हें परेशान भी किया। थरूर बोले, 'एक तो दिल्ली का पूर्ण बंद होना, जिससे आम नागरिकों को बेहद कठिनाई हुई और विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों की आजीविका प्रभावित हुई। सरकार की जिम्मेदारी गरीबी खत्म करना है, गरीबों का दिखना ही बंद करना नहीं। लेकिन ऐसा लगता है कि बाद वाली ही उनकी प्राथमिकता रही है।'
थरूर ने आगे द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'मेरी दूसरी चिंता कार्यवाही से कुछ मुख्यमंत्रियों के अलावा वरिष्ठ विपक्षी हस्तियों की पूर्ण अनुपस्थिति से जुड़ा है। विपक्ष के नेता और विदेशी मामलों से निपटने वाली समितियों के सदस्यों सहित हर दूसरे विपक्षी सांसद की अनुपस्थिति थी क्योंकि सरकार ने उनमें से किसी को भी किसी भी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया था। तो, इसका परिणाम यह हुआ है कि कूटनीतिक स्तर पर सफल होने वाली समायोजन की भावना हमारी घरेलू स्तर पर लोगों को जोड़ने में पूरी तरह गायब रही।'
थरूर ने कहा, 'आंतरिक मेल-मिलाप को बढ़ावा देने का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा है और दुखद बात यह है कि यह उस देश में हो रहा है जो खुद को लोकतंत्र की जननी के रूप में पेश करता है। किसी भी अन्य लोकतंत्र ने विपक्ष के नेता और अन्य विपक्षी नेताओं को इस तरह से बाहर नहीं किया होगा।'
अफ्रीकी संघ को नए सदस्य के रूप में शामिल करने को लेकर थरूर ने कहा कि अफ्रीकी संघ को शामिल करने पर कुछ समय पहले सहमति बनी थी और इसलिए इसे एक अपरिहार्य परिणाम के रूप में देखा गया था। उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से एक अच्छी उपलब्धि है लेकिन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि कई देश उस पहल के पीछे रहे।
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे को लेकर कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि इसे वास्तव में प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है, तो यह वास्तव में एक महत्वपूर्ण गेम चेंजर साबित हो सकता है।
क्या भारत की अध्यक्षता से कुछ फर्क पड़ा, इस सवाल के जवाब में थरूर ने कहा कि इससे निश्चित रूप से हमारी सरकार पर फर्क पड़ा है कि सरकार ने जी20 की रोटेशनल अध्यक्षता को न केवल एक राजनयिक विजय बल्कि एक आंतरिक सफलता की कहानी में बदल दिया है। उन्होंने इसके लिए भी तारीफ़ की कि 58 शहरों में 200 से अधिक बैठकों का आयोजन, नागरिक समाज, कुछ थिंक टैंक और अन्य लोगों को शामिल करके इसे लोगों का जी20 बनाने का प्रयास किया गया।
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