शशि थरूर ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने को लेकर सोनिया गांधी से मुलाकात की है। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि उनके चुनाव लड़ने पर सोनिया को कोई आपत्ति नहीं है। रिपोर्टों के अनुसार सोनिया ने उनसे कहा है कि वह आने वाले राष्ट्रपति चुनावों में 'तटस्थ रहेंगी'। रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने शशि थरूर से यह भी कहा, 'कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है।' कहा जा रहा है कि अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत भी उम्मीदवार होंगे। इसके साथ ही चुनाव में गहलोत और थरूर आमने-सामने हो सकते हैं।
17 अक्टूबर को कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव होना है। चुनाव के लिए नामांकन 24 सितंबर से शुरू होने हैं। जी-23 नेताओं में से एक शशि थरूर कांग्रेस को चलाने के तरीक़े में व्यापक बदलाव चाहते हैं। हालाँकि थरूर ने सोनिया से 40 मिनट की बैठक की ज़्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया।
इस बार शशि थरूर जैसे कई नेताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में बदलाव लाने की मांग को मान लिया गया है। इन नेताओं ने पारदर्शी ढंग से चुनाव कराने के लिए ख़त लिखा था।
बदले हुए नियम के अनुसार जो कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करना चाहता है, वह निर्वाचक मंडल बनाने वाले सभी 9,000 प्रतिनिधियों की सूची देख सकेगा। हाल ही में कांग्रेस नेता मधुसूदन मिस्त्री ने बयान जारी कर कहा था कि यह सूची 20 सितंबर से पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के कार्यालय में उपलब्ध होगी।
फ़ैसले का स्वागत करते हुए शशि थरूर ने ट्वीट किया था, 'मुझे खुशी है कि यह स्पष्टीकरण हमारे पत्र के उनके रचनात्मक उत्तर के रूप में आया है। इन आश्वासनों के मद्देनजर मैं संतुष्ट हूं। कई लोगों को उस चुनाव प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने में खुशी होगी जो मेरे विचार में पार्टी को मजबूत ही करेगी।'
थरूर ने पार्टी के साथी नेताओं दीपेंद्र हुड्डा, जय प्रकाश अग्रवाल और विजेंद्र सिंह के साथ कांग्रेस के आगामी राष्ट्रपति चुनाव पर चर्चा के लिए आज सोनिया गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की थी।
माना जा रहा है कि शशि थरूर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में खड़े होना चाहते हैं। वह सोमवार को जब सोनिया से मिले तो सूत्रों से मुलाक़ात को लेकर कुछ ख़बरें बाहर आईं। उनसे बात करने वाले कुछ नेताओं ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सोनिया ने उन्हें अपनी तटस्थता का आश्वासन दिया। यानी वह किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेंगी, और कोई भी आधिकारिक या प्रतिष्ठान का नामित नहीं होगा। रिपोर्ट के अनुसार एक नेता ने कहा कि थरूर को यह लगा कि वह 'स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव' के पक्ष में थीं और उनका मानना था कि इससे पार्टी मजबूत होगी।
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