loader

जबलपुर उपचुनाव से राजनीति के मैदान में उतरे थे शरद यादव

समाजवादी नेता शरद यादव का राजनीति के मैदान में उतरने का किस्सा बेहद दिलचस्प है। साल 1974 में जब तत्कालीन इंदिरा गांधी की हुकूमत के खिलाफ समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण आंदोलन चला रहे थे तो जबलपुर में उस वक्त के कांग्रेस सांसद का निधन हो गया था। तब जयप्रकाश नारायण ने विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर जबलपुर के उपचुनाव में शरद यादव को उतारने का फैसला किया था। 

27 साल के शरद यादव ने चुनाव में कांग्रेस को हरा दिया था और इसे एक बड़ी जीत माना गया था। 

शरद यादव 1977 में जबलपुर से दोबारा सांसद चुने गए थे। उस समय वह युवा जनता दल के अध्यक्ष भी थे। 1986 में वह राज्यसभा के लिए चुने गए थे और 1989 में उत्तर प्रदेश के बदायूं से लोकसभा का चुनाव जीते थे। राजनीति का लंबा तजुर्बा रखने वाले शरद यादव जनता दल के महासचिव और संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहे थे। 

Sharad yadav Jabalpur by election 1974 - Satya Hindi

लगभग 5 दशक तक शरद यादव समाजवादी और पिछड़ा वर्ग की राजनीति के एक बड़े नेता के तौर पर राजनीति में सक्रिय रहे। शरद यादव कांग्रेस विरोध और मंडल युग के दौर की राजनीति से निकले थे।

1990 में प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में रहते हुए अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने वाली मंडल समिति की सिफारिशों को लागू करवाने में उनका अहम योगदान रहा था।

ताज़ा ख़बरें

हालांकि वह समाजवादी राजनीति करते रहे थे लेकिन उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर भी राजनीति की। शरद यादव ने 1999 से 2004 तक चली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कई मंत्रालय संभाले थे।  वह एनडीए के संयोजक भी रहे थे। 

1991, 1996, 1999 और 2009 में वह बिहार के मधेपुरा से लोकसभा के सांसद चुने गए थे। 2003 में शरद यादव जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष बने थे। 2014 में वह एक बार फिर राज्यसभा पहुंचे थे। 2019 में भी वह मधेपुरा से चुनाव लड़े थे लेकिन उन्हें हार मिली थी। वह कई संसदीय समितियों के सदस्य भी रहे थे। 

राजनीति से और खबरें

लोकतांत्रिक जनता दल का गठन 

2017 में जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फिर से बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया था तो शरद यादव नाराज हो गए थे और उन्होंने नीतीश कुमार का साथ छोड़कर 2018 में लोकतांत्रिक जनता दल का गठन किया था। मार्च, 2022 में शरद यादव ने लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर दिया था। उनकी बेटी ने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बिहार में बिहारीगंज सीट से विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन उन्हें हार मिली थी। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें