कांग्रेस की राजस्थान इकाई ने प्रस्ताव पास किया है कि राहुल गांधी को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना चाहिए। शनिवार को हुई प्रदेश कांग्रेस के डेलीगेट्स की एक अहम बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस प्रस्ताव को रखा। राजस्थान पहला प्रदेश है जिसने राहुल गांधी के पक्ष में इस तरह का प्रस्ताव पास किया है। माना जा रहा है कि इसके बाद कुछ अन्य राज्य इकाइयां भी इसी तरह का प्रस्ताव पास कर सकती हैं।
बताना होगा कि अशोक गहलोत के बारे में इस तरह की चर्चा है कि वह कांग्रेस के अगले अध्यक्ष हो सकते हैं जबकि राहुल गांधी फिर से कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से इंकार कर चुके हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन 24 सितंबर से शुरू होंगे और 30 सितंबर तक भरे जाएंगे।
लेकिन सवाल यह है कि जब राहुल गांधी अध्यक्ष बनने से इंकार कर चुके हैं तो इस तरह के प्रस्ताव को पास करने का क्या मतलब हो सकता है। क्या अशोक गहलोत राजस्थान छोड़कर नहीं जाना चाहते और अध्यक्ष नहीं बनना चाहते।
एनडीटीवी के मुताबिक, राजस्थान के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पास होने के बाद कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह अधिकार दिया है कि वह राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष किसे नियुक्त करें।
पायलट समर्थक डेलीगेट्स गैर हाजिर
इस बैठक में कांग्रेस के 200 डेलीगेट्स उपस्थित रहे जबकि राजस्थान में कांग्रेस के 400 डेलीगेट्स हैं। एनडीटीवी के मुताबिक, बैठक से गैरहाजिर रहने वाले डेलीगेट्स पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक हैं। पायलट समर्थक डेलीगेट्स की बैठक से गैर मौजूदगी भी एक अहम बात है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बैठक में मौजूद रहे राजस्थान कांग्रेस के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी ने बताया कि बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी इच्छा है कि राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनें और उन्होंने बैठक में मौजूद डेलीगेट्स से पूछा कि वे क्या चाहते हैं। सभी डेलीगेट्स ने हाथ उठाकर अशोक गहलोत का समर्थन किया।
क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए नामांकन की तारीख नजदीक आ रही है तो यह सवाल खड़ा हो रहा है कि कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा।
G-23 गुट उतारेगा उम्मीदवार
एक अहम सवाल यह भी है कि क्या कांग्रेस बिना चुनाव के ही अध्यक्ष का चयन कर लेगी या फिर पार्टी में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 की ओर से किसी को उम्मीदवार बनाया जाएगा। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा था कि आम सहमति से अगर कांग्रेस का अध्यक्ष चुना जाता है तो यह G-23 गुट को स्वीकार होगा लेकिन क्या आम सहमति बन पाएगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कुछ दिन पहले कहा था कि कांग्रेस वर्तमान में संकट के दौर से गुजर रही है और ऐसे वक्त में पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी उसे वह पूरा करेंगे। पिछले महीने यह खबर आई थी कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अशोक गहलोत से आग्रह किया था कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालें।
लेकिन गहलोत की पहल पर राजस्थान कांग्रेस कमेटी के द्वारा राहुल गांधी के अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव ऐसे वक्त में पास किया गया है जब कई बार खबरों में यह कहा जा चुका है कि राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनना चाहते। राहुल खुद भी इसे लेकर अनिच्छा दिखा चुके हैं। तो क्या अशोक गहलोत भी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हैं।
पायलट खेमा एक्टिव
बताना होगा कि अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की चर्चाओं के बाद से ही राजस्थान में उनके सियासी विरोधी सचिन पायलट का खेमा जबरदस्त एक्टिव हो गया है। पायलट खेमे को उम्मीद है कि अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे और मुख्यमंत्री की कुर्सी उनके नेता सचिन पायलट को मिलेगी लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा।
फिर गुटबाजी
उधर, राजस्थान कांग्रेस में इन दिनों एक बार फिर जबरदस्त गुटबाजी है। कुछ दिन पहले ही अशोक गहलोत के करीबी माने जाने वाले मंत्री अशोक चांदना को गुर्जर समाज के कार्यक्रम में लोगों ने जूते-चप्पल दिखाए थे। इस दौरान वहां जमकर हंगामा हुआ था और उसके बाद चांदना ने ट्वीट कर तेवर दिखाए थे। उन्होंने कहा था कि जिस दिन वह लड़ने पर आ गए तो फिर एक ही शख्स बचेगा और वह ऐसा नहीं चाहते हैं। उन्होंने पायलट समर्थकों को भी आड़े हाथों लिया है।
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