लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को लेकर प्रधानमंत्री मोदी पर हमलावर रहने वाले राहुल गाँधी ने कहा है कि सद्दाम हुसैन और गद्दाफी भी चुनाव जीत जाते थे। राहुल ने अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा भारत में लोकतंत्र के कमजोर होने की रिपोर्टों को लेकर हाल ही में टिप्पणी की थी- 'भारत अब एक लोकतांत्रिक देश नहीं रहा'। इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन और लिबिया के तानाशाह गद्दाफी को लेकर राहुल गाँधी की टिप्पणी मंगलवार को आई है। वह ब्राउन यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर आशुतोष वार्ष्णेय, संकाय के सदस्यों और छात्रों के साथ एक ऑनलाइन बातचीत में बोल रहे थे। वह चुनाव में मतदान के साथ ही लोकतांत्रिक संस्थाओं के महत्व पर जोर दे रहे थे और यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि इन संस्थाओं के बिना मतदान एक दिखावा भर रह जाता है।
राहुल गाँधी का यह बयान किस संदर्भ में आया है, इसे उनके पिछले हफ़्ते एक बयान से भी समझा जा सकता है। तब उनका बयान स्वीडन के वी-डेम इंस्टीट्यूट की डेमोक्रेसी रिपोर्ट के बाद आया था। उन्होंने कहा था कि 'भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा'। उस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र से 'इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी' यानी चुनावी तानाशाह वाले देश में बदल गया है।
रिपोर्ट में भारत को हंगरी और तुर्की के साथ रखा गया है और कहा गया है कि देश में लोकतंत्र के कई पहलुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। वी-डेम इंस्टीट्यूट की यह रिपोर्ट ऐसे वक़्त में आई है जब बोलने की आज़ादी पर अंकुश लगाने और असहमति की आवाज़ को देश के ख़िलाफ़ बताए जाने के आरोप लगते रहे हैं।
वी-डेम इंस्टीट्यूट ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में मीडिया की आवाज़ को कुचला जा रहा है और मानहानि और राजद्रोह के क़ानून का ग़लत इस्तेमाल किया जा रहा है। रिपोर्ट कहती है, “सेंशरशिप के मामले में भारत पाकिस्तान के जैसा तानाशाह देश हो गया है और उसकी स्थिति पड़ोसी देशों बांग्लादेश और नेपाल से भी बदतर हो गयी है।”
कुछ दिन पहले अमेरिकी सरकार के एक एनजीओ फ्रीडम हाउस ने भी अपनी ताज़ा रिपोर्ट में इसी तरह की बात कही थी। इसे ‘आंशिक आज़ाद’ देश की रैंकिंग दी गई है। इस एनजीओ ने 2018, 2019 और 2020 में भारत को ‘आज़ाद’ देशों की सूची में रखा था।
‘2021 में विश्व में आज़ादी- लोकतंत्र की घेरेबंदी’ शीर्षक से जारी की गई इस रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा लगता है कि भारत ने वैश्विक लोकतांत्रिक नेता के रूप में नेतृत्व करने की क्षमता को त्याग दिया है।
हालाँकि भारत सरकार ने फ्रीडम हाउस की रिपोर्ट को खारिज किया है और उसे ग़लत और भ्रामक बताया है। इसने कहा है कि देश ने अच्छी तरह से लोकतांत्रिक प्रथाओं का पालन किया है।
इन्हीं रिपोर्टों के बीच राहुल गाँधी का ताज़ा बयान आया है। लोकतंत्र में गिरावट को लेकर सवाल पूछा गया तो राहुल ने कहा, 'भारत की स्थिति बदतर है, हमें उस बारे में किसी ठप्पे की ज़रूरत नहीं है।' राहुल गांधी ने वैश्विक लोकतंत्र में भारत की घटती स्थिति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, 'सद्दाम हुसैन और गद्दाफी चुनाव कराते थे। वे उन्हें जीतते थे। ऐसा नहीं था कि वे मतदान नहीं कर रहे थे लेकिन उस वोट की रक्षा के लिए कोई संस्थागत ढाँचा नहीं था।'
Live: My interaction with Prof Ashutosh Varshney, faculty & students of Brown University. https://t.co/1goKjIgp9H
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) March 16, 2021
उन्होंने कहा, 'एक चुनाव बस लोगों द्वारा एक वोटिंग मशीन पर बटन दबाना ही नहीं है। एक चुनाव नैरेटिव के बारे में है। एक चुनाव उन संस्थानों के बारे में है जो यह सुनिश्चित करते हैं कि देश में रूपरेखा ठीक से काम कर रही है। एक चुनाव न्यायपालिका के निष्पक्ष होने के बारे में है और इसके बारे में है कि एक बहस संसद में हो रही है। इसलिए आपको उन चीजों की आवश्यकता है जिससे आपके वोट का महत्व रहे।'
राहुल गाँधी का यह बयान किस पर निशाना साधकर दिया गया है, यह जानना ज़्यादा मुश्किल नहीं है।
वैसे, तानाशाही को लेकर राहुल गाँधी अक्सर बयान देते रहे हैं। पिछले महीने ही उन्होंने इससे जुड़ा एक ट्वीट किया था और लिखा था- इतने तानाशाहों के नाम 'M' से क्यों शुरू होते हैं? राहुल ने उन तानाशाहों की एक सूची भी बनाई थी। उसमें मार्कोस, मुसोलिनी, मिलोशेविच, मुबारक, मोबुतु, मुशर्रफ और माइकॉम्बेरो के नाम शामिल थे।
Why do so many dictators have names that begin with M ?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 3, 2021
Marcos
Mussolini
Milošević
Mubarak
Mobutu
Musharraf
Micombero
राहुल ने मार्कोस नाम का ज़िक्र किया है। इसका पूरा नाम फर्डिनेंड इमैनुएल एड्रैलिन मार्कोस था जिसने फिलिपींस में सैन्य तानाशाही लागू की। मुसोलिनी इटली का एक राजनेता था जो देश में फासीवाद लाया था। सर्बिया का राजनेता स्लोबोदान मिलोशेविच को भी तानाशाही शासन के लिए जाना जाता है। होस्नी मुबारक मिस्र, कर्नल जॉसेफ मोबुतु कॉन्गो, जनरल परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान और माइकल माइकल माइकॉम्बेरो बुरुंडी में तानाशाही के लिए जाने गए।
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