कोरोना की दूसरी लहर से पस्त हो चुके हिंदुस्तान के लोगों से मोदी सरकार कह रही है कि वे पॉजिटिव रहें यानी सकारात्मक बातें सोचें। इसमें कुछ ग़लत भी नहीं है लेकिन जिनके परिजनों ने ऑक्सीजन, दवाइयों, बेड्स की कमी के कारण अस्पतालों में तड़प-तड़प कर दम तोड़ा है और फिर श्मशान घाटों में नरक जैसे हालात देखे हैं, उनसे आप पॉजिटिव रहने की उम्मीद करेंगे?